Kandela Kand: हरियाणा के चर्चित कंडेला कांड में जान गंवाने वाले 13 साल के किसान राजेश शर्मा की प्रतिमा अब कंडेला गांव में बनाई जा रही है। कल, 25 मई 2025 को उनकी 23वीं पुण्यतिथि पर प्रतिमा का अनावरण किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) इस आयोजन की अगुवाई कर रही है।
प्रतिमा को कंडेला गांव के प्रसिद्ध सांड मंदिर के पास स्थापित किया जाएगा — उस सांड का मंदिर, जो 2002 में हुए किसान आंदोलन के दौरान पुलिस को खदेड़कर ‘आंदोलन का प्रतीक’ बन गया था।
क्या था कंडेला कांड? जानिए पूरा घटनाक्रम
2002 का किसान आंदोलन:
राज्य की तत्कालीन चौटाला सरकार ने चुनाव से पहले किसानों से बिजली बिल माफ करने का वादा किया था। लेकिन सरकार बनने के बाद बिजली बिल भरने का दबाव बनाया गया। इस वादाखिलाफी के खिलाफ जींद जिले के कंडेला गांव में किसानों ने आंदोलन छेड़ दिया।
बिजली काटी, सड़क जाम किया:
19 मई 2002 को सरकार ने आंदोलन को दबाने के लिए कंडेला समेत 5 गांवों की बिजली काट दी। किसानों ने सड़कों पर उतरकर रोड जाम किया। ट्रैक्टरों में भरकर किसान कंडेला पहुंचे। पुलिस ने नगूरां गांव के पास बैरिकेडिंग की।
13 साल का राजेश शर्मा बना शहीद:
इस आंदोलन में राजेश शर्मा (13 वर्षीय छात्र) भी शामिल था। जब पुलिस ने लाठीचार्ज और फायरिंग की, तो घोड़े पर सवार पुलिसकर्मियों की लाठियां राजेश को लगीं। वह बुरी तरह घायल हो गया और 6 दिन बाद 25 मई को मौत हो गई।
9 किसानों की मौत और 45 से ज्यादा घायल:
राजेश समेत 9 किसानों की जान गई, 45 से ज्यादा किसान घायल हुए। इसके बाद आंदोलन उग्र हो गया। किसानों ने कई अधिकारियों को बंधकबनाया। जींद-चंडीगढ़ मार्ग 2 महीने तक बंद रहा।
क्यों नहीं बनी अब तक प्रतिमा?
अब तक कंडेला कांड में जान गंवाने वाले दो किसानों की प्रतिमा गुलकनी और रामराय गांवों में बनाई जा चुकी है। लेकिन राजेश शर्मा की प्रतिमा नहीं बन सकी थी। इसको लेकर भारतीय किसान यूनियन ने प्रदेशभर में किसानों से समर्थन लिया और अब जाकर प्रतिमा बन पाई है।
राजेश शर्मा का परिवार:
माता: बिसनो देवी (अब रिटायर्ड)
पिता: ईश्वर सिंह
भाई-बहन: दो बहनें और एक भाई मनीष, जो खेती करता है
तब राजेश नौवीं कक्षा में पढ़ता था
2004 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में राजेश की मां को परिवहन विभाग में नौकरी दी गई थी।
किसान आंदोलन का प्रतीक बना ‘सांड’ और उसका मंदिर
कंडेला आंदोलन में एक सांड की भूमिका को आज भी ग्रामीण याद करते हैं। जब पुलिस किसानों पर लाठीचार्ज कर रही थी, यह सांड आंदोलनकारी किसानों की ओर से पुलिस को खदेड़ने लगा। यहां तक कि घोड़े सवार पुलिसकर्मी भी इससे डरकर भाग गए। ग्रामीणों का मानना है कि इस सांड की वजह से कई किसानों की जान बची।
इस बहादुरी के बाद ग्रामीणों ने उस सांड का मंदिर बनवा दिया, जहां आज भी पूजा होती है। प्रतिमा भी इसी मंदिर के पास लगाई जाएगी।

मुख्यमंत्री रहते हुए चौटाला कभी कंडेला नहीं आए
कंडेला कांड के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने कंडेला गांव का रास्ता तक नहीं लिया, जबकि वे जींद जिले के नरवाना से विधायकबने थे। यह घटना उनके राजनीतिक जीवन की सबसे विवादित घटनाओं में शामिल रही।
राजेश शर्मा की प्रतिमा एक किसान परिवार के बलिदान का प्रतीक बनेगी। यह न केवल कंडेला आंदोलन की ऐतिहासिक याद दिलाएगी, बल्कि किसानों की आवाज और संघर्ष का प्रतीक भी रहेगी। 25 मई 2025 को कंडेला गांव में होने वाला यह अनावरण कार्यक्रम हरियाणा की किसान राजनीति में एक अहम क्षण माना जा रहा है।