Haryana Congress: हरियाणा कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे के गठन को लेकर लंबे समय से चल रही उठापटक अब निर्णायक मोड़ पर पहुंचती दिख रही है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी अब 4 जून को चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं के साथ अहम बैठक करेंगे। पहले यह बैठक 1 जून को प्रस्तावित थी, लेकिन अब राहुल गांधी कार्यालय ने नई तारीख की पुष्टि कर दी है।
संगठन गठन को लेकर होगी मंथन
हरियाणा कांग्रेस में बीते 11 वर्षों से संगठनात्मक ढांचा अधूरा है। जिला अध्यक्षों से लेकर ब्लॉक अध्यक्षों तक की नियुक्ति रुकी हुई है। इसी को लेकर राहुल गांधी प्रदेश के नेताओं के साथ गहन चर्चा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी बैठक में 21 केंद्रीय पर्यवेक्षकों को दिशा-निर्देश देंगे,जिन्हें हाईकमान ने जिलाध्यक्ष चयन के लिए नियुक्त किया है।
इन पर्यवेक्षकों ने अभी तक अपना काम शुरू नहीं किया है और बैठक में उन्हें आगे की गाइडलाइन सौंपी जाएगी।
किन नेताओं को बुलाया गया?
बैठक में केवल उन्हीं नेताओं को शामिल किया जाएगा जिन्हें कांग्रेस के हरियाणा मामलों के प्रभारी बीके हरिप्रसाद की ओर से व्यक्तिगत तौर पर फोन करके आमंत्रण दिया गया है। प्रदेश कांग्रेस के 37 विधायकों में से सभी को अभी तक न्योता नहीं मिला है।
बैठक में मौजूद रह सकते हैं ये दिग्गज:
- चौ. उदयभान (प्रदेश अध्यक्ष) 
- भूपेंद्र सिंह हुड्डा (पूर्व मुख्यमंत्री) 
- कुमारी सैलजा (राष्ट्रीय महासचिव व सिरसा सांसद) 
- रणदीप सुरजेवाला (राज्यसभा सांसद) 
- दीपेंद्र सिंह हुड्डा (रोहतक सांसद) 
- जयप्रकाश ‘जेपी’ (हिसार सांसद) 
- वरुण चौधरी (अंबाला सांसद) 
- सतपाल ब्रह्मचारी (सोनीपत सांसद) 
- डॉ. रघुबीर कादियान (पूर्व स्पीकर) 
- कैप्टन अजय सिंह यादव (पूर्व वित्त मंत्री) 
बैठक की जगह पर सस्पेंस जारी
हालांकि बैठक का संभावित स्थान चंडीगढ़ के सेक्टर-9 स्थित हरियाणा कांग्रेस मुख्यालय बताया जा रहा है, लेकिन अंतिम फैसला सुरक्षा एजेंसियों की चेकिंग के बाद लिया जाएगा। हिमाचल भवन जैसे वैकल्पिक स्थानों पर भी विचार किया जा रहा है।
फाइनल शेड्यूल रविवार तक
प्रदेश कांग्रेस कमेटी को राहुल गांधी के इस दौरे का फाइनल शेड्यूल रविवार शाम तक मिल सकता है। बैठक में वही नेता शामिल हो पाएंगे जिनके पास आधिकारिक निमंत्रण होगा, क्योंकि सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रहेगी।
राहुल गांधी की यह बैठक हरियाणा कांग्रेस की दिशा तय करने वाली साबित हो सकती है। लंबे समय से अधर में लटकी संगठनात्मक नियुक्तियां अब तेज़ी पकड़ सकती हैं। सभी की निगाहें 4 जून की बैठक पर टिकी हैं।













