हरियाणा से बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने वाली एक बड़ी खबर सामने आई है। हरियाणा राइट टू सर्विस कमीशन ने गलत और अत्यधिक औसत बिलिंग (Average Billing) के मामलों में कड़ा रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि अब RAPDRP (Restructured Accelerated Power Development and Reforms Programme) सिस्टम में तकनीकी खामी को लगातार बहाने के तौर पर पेश करना स्वीकार्य नहीं होगा।
क्यों फिर सक्रिय हुई समीक्षा?
आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2024 में कार्य-निष्पादन में सुधार दिखने पर इस श्रेणी की समीक्षा अस्थायी रूप से रोकी गई थी। लेकिन हाल ही में बड़ी संख्या में आए नए मामलों ने आयोग को पुनः सक्रिय समीक्षा पर विचार करने के लिए मजबूर किया है।
महेंद्रगढ़ का चौंकाने वाला मामला
एक सुनवाई के दौरान, महेंद्रगढ़ के एक उपभोक्ता ने बताया कि उसका घरेलू कनेक्शन सामान्यतः 600-650 यूनिट की मासिक रीडिंग देता है, लेकिन मई 2025 में उसे लगभग 41,000 रुपये का अत्यधिक बिल जारी कर दिया गया, जिसका भुगतान करना उसके लिए संभव नहीं था। दिलचस्प बात यह है कि उपमंडल अधिकारी बिल को 2021 से ओवरहॉल करने का ठोस कारण नहीं दे सके, जबकि रीडिंग एजेंसी ने 2023 से ही रीडिंग लेना बंद कर दिया था। आयोग ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों का समाधान प्रभागीय स्तर पर ही हो जाना चाहिए था।
आयोग का सख्त आदेश और बढ़ा हुआ मुआवजा
आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि उपभोक्ता को जारी आठ गलत बिलों पर पहले दिया गया मुआवजा, वास्तविक असुविधा का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं करता। आयोग ने पाया कि 23 बिलिंग चक्र प्रभावित हुए थे और एसजीआरए (State GR Act) के दृष्टिकोण को अपनाते हुए मुआवजे की राशि बढ़ाकर 8,000 रुपये (प्रति बिलिंग चक्र 1,000 रुपये) करने का आदेश दिया है। यह राशि निगम संबंधित दोषी कर्मियों या मीटर-रीडिंग एजेंसी से वसूल सकेगा।
निगम के लिए समयसीमा और निर्देश
उपभोक्ता को अपने बैंक विवरण निगम के प्रबंध निदेशक और आयोग को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (DHBVN) के प्रबंध निदेशक को आदेश दिया गया है कि वे मुआवजे का भुगतान सुनिश्चित करें और 26 दिसंबर, 2025 तक आयोग को अनुपालन रिपोर्ट भेजें।
आयोग ने यह भी याद दिलाया कि औसत बिलिंग पर एक स्पष्ट नीति बनाने के लिए पहले ही निर्देश जारी किए जा चुके हैं, जिसकी संशोधित समयसीमा 31 दिसंबर, 2025 निर्धारित की गई है।
निष्कर्ष: यह फैसला हरियाणा के लाखों बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक सशक्त संदेश है। आयोग की यह सख्ती बिजली वितरण कंपनियों को अधिक जवाबदेह और उपभोक्ता-हितैषी बनने के लिए प्रेरित करेगी और गलत बिलिंग से जुड़ी शिकायतों में कमी लाएगी।










