मदुरै, तमिलनाडु: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार (8 जून 2025) को मदुरै में बड़ा राजनीतिक बयान देते हुए दावा किया कि वर्ष 2026 में तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में NDA की सरकार बनेगी। उन्होंने राज्य की द्रमुक (DMK) सरकार पर कई घोटालों और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को चुनौती दी।
शाह ने मदुरै को ‘परिवर्तन का शहर’ बताते हुए कहा कि यह भाजपा कार्यकर्ताओं की एकता का प्रतीक बनेगा और यही से द्रमुक के सत्ता से बाहर होने की शुरुआत होगी। उन्होंने कहा – “शाह द्रमुक को नहीं हराएंगे, बल्कि तमिलनाडु की जनता बदलाव लाएगी।” हरियाणा में कांग्रेस इस पूरी तरह से साफ़ नहीं हुई लेकिन 2026 में बंगाल और तमिलनाडु में लोग एक तरफ़ा देगी जीत।
DMK पर 4,600 करोड़ के रेत खनन घोटाले का आरोप
अमित शाह ने कहा कि DMK सरकार भ्रष्टाचार की हर सीमा पार कर चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि रेत खनन घोटाले में 4,600 करोड़ रुपये की लूट हुई, जिसका सबसे ज्यादा असर गरीबों और किसानों पर पड़ा। उन्होंने TASMAC घोटाले की भी चर्चा की और कहा कि शराब बिक्री से जुड़े इस घोटाले में हजारों करोड़ रुपये की अनियमितता हुई है।
“स्टालिन बताएं कितने वादे किए पूरे?”
शाह ने स्टालिन सरकार को चुनावी वादों पर घेरते हुए कहा कि DMK ने अपने घोषणापत्र के 60% वादों को भी पूरा नहीं किया। उन्होंने मुख्यमंत्री से घोषणापत्र का सार्वजनिक मूल्यांकन करने की चुनौती दी और कुपोषण किट योजना में 450 करोड़ रुपये के घोटाले का भी आरोप लगाया।
जातीय हिंसा और भाषा शिक्षा पर भी उठाए सवाल
अमित शाह ने आरोप लगाया कि DMK सरकार दक्षिणी तमिलनाडु में जाति आधारित हिंसा को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि तमिल भाषा में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई क्यों नहीं करवाई जाती? साथ ही कहा कि स्टालिन सरकार ने “भगवान मुरुगा की पहाड़ी को सिकंदर पहाड़ी” कहने की जुर्रत की, जो तमिल भावनाओं का अपमान है।
NDA सरकार की भविष्यवाणी
अमित शाह ने दावा किया कि 2026 में तमिलनाडु और बंगाल में NDA की सरकार बनेगी, जैसे हरियाणा, ओडिशा और महाराष्ट्र में बनी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने तमिलनाडु के लिए 6.80 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, फिर भी स्टालिन केंद्र पर सवाल उठाते हैं।
अमित शाह के इस भाषण को DMK सरकार पर सबसे कड़ा हमला माना जा रहा है। अब देखना होगा कि क्या यह बयानबाजी 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों की दिशा तय करेगी?