तख्त बदल दो, ताज बदल दो… ताऊ देवीलाल का नारा जो बन गया था भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की आवाज

“तख्त बदल दो, ताज बदल दो, बेईमानों का राज बदल दो” – यह नारा 1989 के आम चुनाव में चौधरी देवीलाल ने दिया था, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआंदोलन की ...

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वैशाली वर्मा

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ताऊ देवीलाल

तख्त बदल दो, ताज बदल दो, बेईमानों का राज बदल दो” – यह नारा 1989 के आम चुनाव में चौधरी देवीलाल ने दिया था, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआंदोलन की पहचान बन गया। हरियाणा के जनक कहे जाने वाले ताऊ देवीलाल का जन्म 25 सितंबर 1914 को सिरसा जिले के चौटाला गांव में हुआ था। जमीनी राजनीति से उठे इस किसान नेता ने न केवल हरियाणा की राजनीति को प्रभावित किया बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अहम भूमिका निभाई।


प्रधानमंत्री पद ठुकराकर बने ताऊ

1989 में बहुमत के साथ संसदीय दल का नेता चुने जाने के बावजूद ताऊ देवीलाल ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा – “मैं सबसे बुजुर्ग हूं, सब मुझे ताऊ कहते हैं और मैं ताऊ ही बना रहना चाहता हूं।” इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद विश्वनाथ प्रताप सिंह को सौंप दिया, जिससे उनकी सादगी और देश के प्रति समर्पण की झलक मिलती है।


दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री और एक बार देश के उपप्रधानमंत्री

ताऊ देवीलाल का राजनीतिक करियर बेहद प्रभावशाली रहा।

  • वह 1977 से 1979 और फिर 1987 से 1989 तक दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने।

  • इसके अलावा वह 1989 से 1991 तक भारत के उपप्रधानमंत्री भी रहे।
    उनकी समाधि दिल्ली में स्थित ‘संघर्ष घाट’ पर बनी हुई है।


स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आपातकाल तक सक्रिय रहे

देवीलाल स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रहे। उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर आंदोलनों में हिस्सा लिया और लाला लाजपत राय के साथ प्रदर्शनों में भाग लिया। 1952 में वह पहली बार कांग्रेस से विधायक बने। लेकिन आपातकाल (1975) के दौरान उनका कांग्रेस से मोहभंग हो गया और वह जनता पार्टी में शामिल हो गए।


1989 में भ्रष्टाचार के खिलाफ बिगुल

1989 के आम चुनाव में जब ताऊ देवीलाल और वीपी सिंह साथ देशभर में यात्राएं कर रहे थे, उस समय उन्होंने एक जनसभा में देर से पहुंचने के बावजूद जोशीला भाषण देकर लोगों को झकझोर दिया। राजस्थान के बहरोड़ (अलवर) में ताऊ ने मंच से जोरदार नारा दिया –
“तख्त बदल दो, ताज बदल दो, बेईमानों का राज बदल दो”
यह नारा तब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक बन गया था।


किंगमेकर की भूमिका में ताऊ

1987 से 1991 के बीच ताऊ देवीलाल देश की राजनीति में किंगमेकर की भूमिका में रहे। उन्होंने चंडीगढ़ से लेकर दिल्ली तक सत्ता के गलियारों में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। उनकी स्पष्टवादी और दबंग छवि ने उन्हें विशिष्ट पहचान दिलाई।

ताऊ देवीलाल
फ़ोटो क्रेडिट: INLD OFFICE

जनता के बीच रहने वाले नेता

ताऊ देवीलाल हमेशा जमीन से जुड़े नेता रहे। ग्रामीण जनता से सीधा संपर्क बनाए रखते हुए वह अकसर अचानक गांवों में पहुंच जाते थे। वहीं खाना खाते, हुक्का पीते और आम भाषा में लोगों से संवाद करते। इसी व्यवहार ने उन्हें ‘जननायक’ बना दिया।


उपप्रधानमंत्री के बाद का संघर्ष

उपप्रधानमंत्री बनने के बाद देवीलाल के लिए समय कठिन रहा।

  • 1991, 1996 और 1998 में वह रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा से तीनों बार हार गए।

  • इसके बाद उनके बेटे ओम प्रकाश चौटाला ने उन्हें राज्यसभा में भेजा।

  • 2001 में राज्यसभा सदस्य रहते हुए ही ताऊ देवीलाल का निधन हो गया।


निष्कर्ष

चौधरी देवीलाल केवल एक नेता नहीं बल्कि एक विचारधारा थे। उन्होंने किसानों, ग्रामीणों और आम आदमी के हक के लिए हर मोर्चे पर संघर्ष किया। उनका नारा आज भी राजनीतिक विमर्श में प्रेरणा का स्रोत है। ताऊ की सादगी, कड़क तेवर और जनसंपर्क की शैली भारतीय राजनीति में एक अलग छवि बनाती है।

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