बाढ़ और बारिश से खराब हुई फसलों का मुआवजा पाने की उम्मीद लगाए बैठे किसानों को बड़ा झटका लग सकता है। हरियाणा सरकार ने इसके लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल शुरू किया था, जिस पर 15 सितंबर तक करीब 5 लाख किसानों ने 29.49 लाख एकड़ जमीन का क्लेम दाखिल किया। अब गिरदावरी और सत्यापन की प्रक्रिया जारी है। लेकिन, पंजीकरण में गड़बड़ी सामने आने से किसानों की चिंता बढ़ गई है।
किसानों का आरोप है कि उनकी जमीनें मेवात, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लोगों के नाम पर पोर्टल में दर्ज दिखाई जा रही हैं। हिसार के गांव लितानी, बिठमड़ा, खैरी और हसनगढ़ सहित कई जगहों पर ऐसे फर्जी पंजीकरण उजागर हुए हैं। किसान अपनी ही जमीन पर फसल चढ़वाने के लिए तहसील और कृषि विभाग के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।

हिसार से कुरुक्षेत्र तक गड़बड़ी
हिसार के गांव लितानी के किसानों ने बताया कि सिर्फ उनके गांव में ही लगभग 500–700 एकड़ जमीन का फर्जी पंजीकरण हुआ है। इसी तरह कुरुक्षेत्र के असमानपुर गांव में एक किसान की जमीन का पंजीकरण धोखाधड़ी से राजू यादव नामक व्यक्ति के नाम पर कर दिया गया। यहां शिकायत पर एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है।
भिवानी में भी कई गांवों की जमीन पर फर्जी पंजीकरण का मामला सामने आया है। आरोप है कि यह खेल कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के जरिए चल रहा है। भिवानी एसपी सुमित कुमार के अनुसार, ऐसे मामलों में साइबर क्राइम थाने में एफआईआर दर्ज की गई है और जांच जारी है।

कैसे होता है फर्जी पंजीकरण?
जमीन पंजीकृत कराने के लिए फैमिली आईडी और ओटीपी की आवश्यकता होती है। लेकिन आरोप है कि कुछ लोगों ने दूसरे किसानों की जमीन को अपना बताकर, अपने परिचितों के मोबाइल नंबर से पंजीकरण करवा लिया। इसमें सीएससी सेंटरों की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। अगर पंजीकरण को सही नहीं किया गया तो मुआवजा असली पीड़ित किसानों की बजाय इन फर्जी खातों में चला जाएगा।
अफसरों का कहना
हिसार के कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर राजबीर सिंह ने बताया कि जिन किसानों की जमीन पर किसी और का पंजीकरण दर्ज है, वे तहसीलदार को भूमि संबंधी कागजात दिखाकर सुधार करवा सकते हैं या “मेरी फसल मेरा ब्योरा” पोर्टल पर ग्रीवांस ऑप्शन के जरिए शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके बाद गलत पंजीकरण को रद्द किया जाएगा।
25 सितंबर तक सत्यापन की डेडलाइन
राजस्व विभाग ने दावों के बहुस्तरीय सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की है। पहले चरण में पटवारी, फिर कानूनगो, नायब तहसीलदार और तहसीलदार जांच करेंगे। इसके बाद जिला राजस्व अधिकारी, एसडीएम और डीसी स्तर पर पुनः सत्यापन होगा। 2% क्षेत्र का सत्यापन संभागीय आयुक्त करेंगे। सरकार ने इस पूरी प्रक्रिया को 25 सितंबर तक पूरा करने की समयसीमा तय की है।













