हरियाणा सरकार ने राज्य में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने और किसानों की आय को सुरक्षित करने के लिए दो बड़े कदम उठाए हैं। एक ओर जहां सरकार मधुमक्खी के बक्सों और कॉलोनियों पर 85% का भारी अनुदान दे रही है, वहीं दूसरी ओर शहद को ‘भावांतर भरपाई योजना’ में भी शामिल कर लिया गया है, ताकि किसानों को बाजार में भाव कम होने पर होने वाले नुकसान से बचाया जा सके।
85% अनुदान योजना
मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए, सरकार सभी श्रेणी के आवेदकों को मधुमक्खी बॉक्स (Bee Boxes) और मधुमक्खी कॉलोनी (Bee Colonies) की खरीद पर 85% तक की सब्सिडी प्रदान कर रही है। इस योजना का लाभ उठाकर किसान कम लागत में मधुमक्खी पालन का व्यवसाय शुरू कर सकते हैं।
भावांतर भरपाई योजना से मिलेगा सुरक्षा कवच
अक्सर मधुमक्खी पालकों को बाजार में शहद का उचित मूल्य नहीं मिल पाता, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान होता है। इसी समस्या को हल करने के लिए सरकार ने शहद को भावांतर भरपाई योजना (BBY) के दायरे में शामिल किया है।
बेस प्राइस निर्धारित: योजना के तहत शहद का न्यूनतम समर्थन मूल्य या बेस प्राइस ₹120 प्रति किलोग्राम तय किया गया है।
नुकसान की भरपाई: यदि बाजार में शहद की कीमत इस बेस प्राइस से कम होती है, तो सरकार अंतर की राशि का भुगतान सीधे किसान के खाते में करेगी।
बिक्री की सीमा: इस योजना का लाभ प्रति मधुमक्खी पालक अधिकतम एक हजार बक्सों और प्रति वर्ष 30,000 किलोग्रामशहद की बिक्री तक मिलेगा (30 किलोग्राम प्रति बॉक्स के हिसाब से)।
कैसे उठाएं योजना का लाभ?
इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए मधुमक्खी पालकों को कुछ शर्तों को पूरा करना होगा:
पंजीकरण: मधुमक्खी पालक का ‘मधुकांति पोर्टल’ और ‘हनी ट्रेड सेंटर (HTC) पोर्टल’ पर पंजीकृत होना अनिवार्य है। पंजीकरण के लिए परिवार पहचान पत्र (PPP) का होना जरूरी है।
बिक्री केंद्र: योजना का लाभ केवल उन्हीं पालकों को मिलेगा जो अपना शहद कुरुक्षेत्र के रामनगर स्थित एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र (IBDC) के हनी ट्रेड सेंटर पर बेचेंगे।
न्यूनतम मात्रा: केंद्र पर बिक्री के लिए कम से कम 500 किलोग्राम शहद ले जाना अनिवार्य है।
सरकार का यह कदम न केवल मधुमक्खी पालन को एक आकर्षक व्यवसाय बनाएगा, बल्कि किसानों की आय को भी स्थिरता प्रदान करेगा।












