सिरसाहिसारफतेहाबादपंचकूलाचंडीगढ़गुरुग्रामजींदभिवानीरोहतकसोनीपतपानीपतदिल्लीडबवाली

हरियाणा के इस ज़िले में होती है सबसे ज़्यादा बारिश, हर साल पैदा हो जाते है बाढ़ जैसे हालात!

On: April 26, 2025 10:10 AM
Follow Us:
हरियाणा

हरियाणा, जो अपनी शुष्क और अर्ध-शुष्क जलवायु के लिए जाना जाता है, में वर्षा का वितरण असमान है। इसकी भौगोलिक विविधता—शिवालिक पहाड़ियों से लेकर मैदानी और अरावली क्षेत्र तक—वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करती है। हरियाणा में सबसे ज्यादा वर्षा अंबाला जिले में होती है, जहाँ औसतन 1100-1200 मिमी (43-47 इंच) वार्षिक बारिश दर्ज की जाती है। यह जिला राज्य का सबसे गीला क्षेत्र है, और इसका कारण इसकी अनूठी भौगोलिक स्थिति और मानसूनी प्रभाव हैं। इस लेख में हम अंबाला में सबसे ज्यादा वर्षा के कारणों, अन्य जिलों के साथ तुलना, वर्षा के प्रभाव, और इससे जुड़े तथ्यों को विस्तार से समझेंगे।

[short-code1]

अंबाला में सबसे ज्यादा वर्षा क्यों?

1. भौगोलिक स्थिति

अंबाला हरियाणा के उत्तरी भाग में शिवालिक पहाड़ियों के निकट स्थित है। ये पहाड़ियाँ हिमालय की तलहटी में हैं और बंगाल की खाड़ी से आने वाली मानसूनी हवाओं को रोकती हैं। जब ये नमी से भरी हवाएँ शिवालिक से टकराती हैं, तो ओरोग्राफिक वर्षा (पहाड़ी वर्षा) होती है। इस प्रक्रिया में बादल ऊपर उठते हैं, ठंडे होते हैं, और भारी बारिश करते हैं। अंबाला की स्थिति इसे मानसून की पहली पंक्ति में रखती है, जिससे यह हरियाणा का सबसे वर्षा-प्रधान क्षेत्र बन जाता है।

2. मानसून का प्रभाव

हरियाणा में 70-80% वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून (जुलाई से सितंबर) के दौरान होती है। अंबाला में मानसून जून के अंत में प्रवेश करता है और सितंबर तक सक्रिय रहता है। इस दौरान जिले में औसतन 900-1000 मिमी बारिश केवल मानसून से होती है। इसके अलावा, पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbances) दिसंबर से फरवरी के बीच हल्की बारिश लाते हैं, जो अंबाला में 100-200 मिमी अतिरिक्त वर्षा जोड़ते हैं।

3. जलवायु और मिट्टी

अंबाला की जलवायु उप-उष्णकटिबंधीय आर्द्र (sub-tropical humid) है, जो भारी वर्षा के लिए अनुकूल है। यहाँ की मिट्टी दोमट (loamy) और जल धारण करने वाली है, जो बारिश को अवशोषित करने में मदद करती है। यह मिट्टी धान और अन्य खरीफ फसलों के लिए आदर्श है, जो अंबाला की अर्थव्यवस्था का आधार हैं।

अन्य जिलों के साथ तुलना

हरियाणा की भौगोलिक विविधता के कारण वर्षा का वितरण असमान है। राज्य को तीन प्रमुख क्षेत्रों में बाँटा जा सकता है:

  1. शिवालिक क्षेत्र (उत्तरी हरियाणा): अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर। यहाँ सबसे ज्यादा बारिश होती है।
  2. मैदानी क्षेत्र (पश्चिमी और मध्य हरियाणा): सिरसा, हिसार, भिवानी, रोहतक। यहाँ कम बारिश होती है।
  3. अरावली क्षेत्र (दक्षिणी हरियाणा): गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, नूंह। यहाँ मध्यम बारिश होती है।

वर्षा का तुलनात्मक विवरण

जिलाऔसत वार्षिक वर्षा (मिमी)क्षेत्रविशेषता
अंबाला1100-1200शिवालिक (उत्तरी)सबसे ज्यादा वर्षा, धान की खेती
पंचकूला1000-1100शिवालिक (उत्तरी)भारी वर्षा, बाढ़ का खतरा
यमुनानगर900-1000शिवालिक (उत्तरी)वन क्षेत्र, अच्छी बारिश
सिरसा250-300मैदानी (पश्चिमी)सबसे कम वर्षा, सिंचाई पर निर्भरता
हिसार300-400मैदानी (पश्चिमी)शुष्क, कपास और बाजरा की खेती
गुरुग्राम500-600अरावली (दक्षिणी)मध्यम वर्षा, शहरीकरण
रेवाड़ी400-500अरावली (दक्षिणी)मध्यम वर्षा, अरावली की छाया

सबसे कम वर्षा

सिरसा हरियाणा का सबसे शुष्क जिला है, जहाँ औसतन 250-300 मिमी बारिश होती है। यह पश्चिमी मैदानी क्षेत्र में है, जहाँ मानसूनी हवाएँ कमजोर पड़ जाती हैं। हिसार और भिवानी भी शुष्क हैं, जहाँ 300-400 मिमी बारिश होती है। इन क्षेत्रों में खेती के लिए सिंचाई (नहरें और ट्यूबवेल) पर निर्भरता है।

अरावली क्षेत्र

अरावली पहाड़ियों में बसे गुरुग्राम, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, और नूंह में मध्यम बारिश (400-600 मिमी) होती है। अरावली पहाड़ियाँ मानसूनी हवाओं को आंशिक रूप से रोकती हैं, जिससे यहाँ शिवालिक जितनी बारिश नहीं होती, लेकिन मैदानी क्षेत्रों से ज्यादा होती है। गुरुग्राम में शहरीकरण के कारण जल निकासी एक समस्या है, जिससे बारिश के बाद जलभराव होता है।

वर्षा का प्रभाव

1. कृषि

अंबाला में भारी वर्षा से धान, गेहूं, मक्का और गन्ना जैसी खरीफ और रबी फसलों को फायदा होता है। यहाँ की उपजाऊ मिट्टी और प्रचुर पानी खेती को बढ़ावा देता है। हालांकि, ज्यादा बारिश से बाढ़ का खतरा रहता है, खासकर घग्घर और यमुना नदियों के किनारे।

शुष्क क्षेत्रों (सिरसा, हिसार) में कम बारिश के कारण कपास, बाजरा, और मूंगफली जैसी कम पानी वाली फसलें उगाई जाती हैं। यहाँ भाखड़ा नहर और ट्यूबवेल खेती का आधार हैं। अरावली क्षेत्र में ज्वार, बाजरा, और सरसों की खेती होती है, लेकिन पानी की कमी से उत्पादकता सीमित रहती है।

2. बाढ़ और जल प्रबंधन

अंबाला, पंचकूला, और यमुनानगर में भारी बारिश से बाढ़ की समस्या आम है। 2019 और 2023 में घग्घर नदी में बाढ़ ने अंबाला के कई गाँवों को प्रभावित किया। सरकार ने बाढ़ नियंत्रण तटबंध और जल निकासी सिस्टम बनाए हैं, लेकिन चुनौतियाँ बनी रहती हैं। इसके विपरीत, सिरसा और हिसार में पानी की कमी से जल संरक्षण और रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर जोर है।

3. अर्थव्यवस्था

अंबाला की अर्थव्यवस्था में कृषि और इससे जुड़े उद्योग (जैसे चावल मिलें) महत्वपूर्ण हैं। भारी वर्षा से खेती की उत्पादकता बढ़ती है, जिससे स्थानीय रोजगार को बढ़ावा मिलता है। सिरसा और हिसार में कम बारिश के कारण कृषि आधारित उद्योग (जैसे कपास जिनिंग) और सिंचाई परियोजनाएँ महत्वपूर्ण हैं। गुरुग्राम में बारिश शहरी जल आपूर्ति और भूजल रिचार्ज के लिए जरूरी है, लेकिन जलभराव एक बड़ी समस्या है।

वर्षा के पैटर्न और बदलाव

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

पिछले दो दशकों में हरियाणा में जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में बदलाव देखा गया है:

  • अनियमित मानसून: कुछ सालों में अंबाला में सामान्य से ज्यादा (1400 मिमी तक) या कम (800 मिमी) बारिश हुई।
  • भारी बारिश की घटनाएँ: 2023 में अंबाला में एक दिन में 200 मिमी बारिश दर्ज की गई, जिससे बाढ़ आई।
  • शुष्क क्षेत्रों में कमी: सिरसा और हिसार में बारिश 10-15% कम हुई, जिससे सूखे की स्थिति बढ़ी।

मौसम विभाग की भविष्यवाणी

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 2025 में हरियाणा में सामान्य से थोड़ी अधिक बारिश (110% दीर्घकालिक औसत) की संभावना है। अंबाला में 1200-1300 मिमी बारिश हो सकती है, जबकि सिरसा में 200-250 मिमी तक सीमित रह सकती है।

सरकारी प्रयास और चुनौतियाँ

1. जल प्रबंधन

  • अंबाला: बाढ़ नियंत्रण के लिए घग्घर नदी तटबंध और नाले बनाए गए। जल निकासी सिस्टम को बेहतर करने की जरूरत है।
  • सिरसा-हिसार: भाखड़ा नहर और स्प्रिंकलर सिंचाई को बढ़ावा। रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर जोर।
  • गुरुग्राम: शहरी जलभराव रोकने के लिए ड्रेनेज सिस्टम और जल संरक्षण नीतियाँ लागू।

2. चुनौतियाँ

  • बाढ़ प्रबंधन: अंबाला में भारी बारिश से बाढ़ की बार-बार समस्या।
  • पानी की कमी: सिरसा और हिसार में भूजल स्तर गिर रहा है, जिससे ट्यूबवेल पर दबाव बढ़ा।
  • शहरी जलभराव: गुरुग्राम और फरीदाबाद में बारिश के बाद सड़कों पर पानी भर जाता है।

हरियाणा में अंबाला सबसे ज्यादा वर्षा वाला जिला है, जो अपनी शिवालिक स्थिति और मानसूनी प्रभाव के कारण गीला रहता है। औसतन 1100-1200 मिमी बारिश के साथ, यह कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन बाढ़ का खतरा बना रहता है। इसके विपरीत, सिरसा और हिसार जैसे मैदानी क्षेत्रों में 250-400 मिमी बारिश होती है, जहाँ सिंचाई जरूरी है। गुरुग्राम और रेवाड़ी जैसे अरावली क्षेत्र मध्यम बारिश (400-600 मिमी) पाते हैं, लेकिन शहरीकरण चुनौतियाँ बढ़ाता है। जलवायु परिवर्तन और अनियमित बारिश के दौर में, हरियाणा को जल प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण, और रेनवाटर हार्वेस्टिंग पर ध्यान देना होगा।

वैशाली वर्मा

वैशाली वर्मा पत्रकारिता क्षेत्र में पिछले 3 साल से सक्रिय है। इन्होंने आज तक, न्यूज़ 18 और जी न्यूज़ में बतौर कंटेंट एडिटर के रूप में काम किया है। अब मेरा हरियाणा में बतौर एडिटर कार्यरत है।

Join WhatsApp

Join Now

Join Telegram

Follow Now

और पढ़ें

Aaj Ka Mausam

Aaj Ka Mausam: कई राज्यों में आज भी भारी बारिश का अलर्ट, जानें दिल्ली, हरियाणा, पंजाब में कैसा रहेगा आज का मौसम?

Haryana Weather Update

Haryana Weather Update: हरियाणा में मौसम बदलाव, इस दिन से होगी बारिश, जानें IMD का बड़ा अपडेट

हरियाणा में बदला मौसम

हरियाणा में बदला मौसम: पश्चिमी विक्षोभ हुआ सक्रिय, बारिश का अलर्ट जारी, तेज़ हवाओं के साथ चल सकती हैं आंधी

कल का मौसम

कल का मौसम: चक्रवात ‘मोंथा’ के चलते इन राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी, जानें दिल्ली-यूपी-हरियाणा का हाल

Cyclone Montha

Cyclone Montha के चलते कई राज्यों में जारी हुआ अलर्ट, 110 किमी/घंटा की रफ्तार से चलेंगी हवाएं

Heavy Rain Alert

Heavy Rain Alert: बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवाती सिस्टम, 28 अक्टूबर तक इन राज्यों में भारी बारिश और तूफान की चेतावनी

Leave a Comment