परिचय: मानसून क्यों है भारत के लिए जीवनरेखा?
भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) देश की लगभग 55% कृषि भूमि और 18% GDP को सीधे प्रभावित करता है।
खरीफ फसलों (जैसे चावल, मक्का, सोयाबीन) की बुआई मानसून पर ही निर्भर होती है।
इसलिए हर वर्ष मानसून का आकलन किसानों से लेकर नीति-निर्माताओं और उद्योगों तक के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बन जाता है।
2025 का मानसून विशेष रूप से दिलचस्प रहने वाला है, क्योंकि:
वैश्विक जलवायु संकेतक (ENSO) अनुकूल बने हुए हैं,
पिछले दो वर्षों में मानसून ने सामान्य से अधिक वर्षा दी है,
और भारत के आर्थिक सुधार के लिए भी एक मजबूत मानसून की आवश्यकता है।
अब जानते हैं विस्तार से 2025 का अनुमान और पिछले 5 वर्षों की मानसून रिपोर्ट।
2025 का मानसून पूर्वानुमान: जानिए क्या कहता है मौसम विभाग
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने 15 अप्रैल 2025 को अपनी पहली दीर्घकालिक भविष्यवाणी (Long Range Forecast) जारी की।
मुख्य बिंदु:
कुल वर्षा अनुमान:
वर्षा लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) का 105% रहेगी।
➔ IMD की परिभाषा में 104%-110% को “above normal” यानी सामान्य से अधिक माना जाता है।क्षेत्रीय प्रवृत्ति:
केन्द्रीय भारत और दक्षिणी प्रायद्वीप में सामान्य से अधिक बारिश।
उत्तर-पश्चिम भारत (राजस्थान, पंजाब, हरियाणा) और कुछ दक्षिणी राज्यों में थोड़ी कमी संभव।
समयबद्धता:
केरल में मानसून का आगमन 31 मई से 2 जून के बीच संभावित है।
जुलाई में मानसून की गति सामान्य रहने का अनुमान है।
जलवायु कारक:
एल नीनो समाप्त हो चुका है; ENSO स्थिति तटस्थ है।
हिंद महासागर डाइपोल (IOD) भी तटस्थ या थोड़ा सकारात्मक रहेगा, जो वर्षा के लिए अच्छा संकेत है।
2025 में भारत को सामान्य से बेहतर मानसून मिल सकता है, जो कृषि और आर्थिक विकास के लिए शुभ संकेत है।
(स्रोत: IMD रिपोर्ट, अप्रैल 2025)
पिछले 5 वर्षों (2020–2024) के मानसून का विस्तृत विश्लेषण
अब आइए देखें कि बीते पाँच वर्षों में भारत का मानसून कैसा रहा। इससे हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि 2025 के ट्रेंड्स को कैसे देखा जाए।
सारांश तालिका
वर्ष | कुल वर्षा (मिमी) | LPA के प्रतिशत | श्रेणी | विशेषताएँ |
---|---|---|---|---|
2020 | 958 | 110% | अधिक वर्षा | तीसरा सबसे भारी मानसून; अगस्त में रिकॉर्ड बारिश |
2021 | 870 | 100% | सामान्य | जून में अच्छी शुरुआत, अगस्त कमजोर |
2022 | 925 | 106% | अधिक वर्षा | मध्य भारत में भारी बारिश, पूर्वोत्तर में कमी |
2023 | 820 | 94.4% | कम वर्षा | अगस्त में ब्रेक मानसून; एल नीनो का प्रभाव |
2024 | 935 | 108% | अधिक वर्षा | पूरे भारत में व्यापक वर्षा, कुछ क्षेत्रों में सूखा |
वर्षवार विस्तृत विवरण
2020 मानसून
श्रेणी: अत्यधिक वर्षा (110% LPA)
मुख्य बातें:
अगस्त 2020 में भारत ने रिकॉर्ड वर्षा दर्ज की।
12 से अधिक निम्न दबाव के सिस्टम (Low Pressure Areas) बने।
कृषि उत्पादन में 4.5% की वृद्धि हुई।
2021 मानसून
श्रेणी: सामान्य (100% LPA)
मुख्य बातें:
जून में अच्छी वर्षा (110% LPA)।
जुलाई-अगस्त में बारिश में बड़ी गिरावट।
सितंबर में 35% अतिरिक्त वर्षा ने घाटा भर दिया।
2022 मानसून
श्रेणी: सामान्य से अधिक (106% LPA)
मुख्य बातें:
मानसून जल्दी (29 मई) शुरू हुआ।
केन्द्रीय भारत (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़) में भारी वर्षा।
पूर्वोत्तर भारत में कम बारिश (82% LPA)।
2023 मानसून
श्रेणी: सामान्य से कम (94.4% LPA)
मुख्य बातें:
मानसून देर से (8 जून) शुरू हुआ।
अगस्त में “ब्रेक मानसून” जैसी स्थिति।
एल नीनो के असर से बारिश में व्यापक कमी।
2024 मानसून
श्रेणी: सामान्य से अधिक (108% LPA)
मुख्य बातें:
केरल में 30 मई को मानसून का आगमन।
मध्य और पश्चिमी भारत में भारी वर्षा।
कुछ राज्यों (पंजाब, झारखंड) में सामान्य से कम वर्षा।
2025 में मानसून का संभावित प्रभाव
कृषि पर प्रभाव
खरीफ फसलों (चावल, मक्का, दलहन) का उत्पादन बढ़ेगा।
सिंचाई पर निर्भरता घटेगी, जिससे कृषि लागत कम होगी।
किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है।
भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
खाद्यान्न उत्पादन बढ़ने से खाद्य मुद्रास्फीति कम होगी।
ग्रामीण मांग (FMCG, ऑटोमोबाइल, ट्रैक्टर उद्योग) में तेजी आएगी।
जलाशयों में जल स्तर बेहतर रहेगा, जिससे बिजली उत्पादन बढ़ेगा।
ऊर्जा और जल संसाधन
हाइड्रोपावर उत्पादन में वृद्धि।
जल संकट वाले क्षेत्रों में राहत।
अगले रबी सीजन (गेंहू, चना) की बुआई के लिए बेहतर स्थितियाँ।
2025 — एक उम्मीदों भरा मानसून
2025 का मानसून अब तक के संकेतों के आधार पर कृषि, अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद सकारात्मक रहने वाला है।
पिछले वर्षों की तुलना में इस बार स्थितियाँ और भी अधिक स्थिर और अनुकूल हैं।
यदि मानसून पूर्वानुमान के अनुरूप रहता है, तो यह भारत की आर्थिक गति को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. 2025 में भारत का मानसून कैसा रहेगा?
➔ सामान्य से अधिक वर्षा (105% LPA) होने की संभावना है।
2. मानसून का आगमन कब होगा?
➔ केरल में मानसून के 31 मई से 2 जून के बीच पहुँचने की संभावना है।
3. किस क्षेत्र में कम बारिश हो सकती है?
➔ उत्तर-पश्चिम भारत और कुछ दक्षिणी राज्यों में सामान्य से थोड़ी कम वर्षा की संभावना है।
4. एल नीनो का असर रहेगा क्या?
➔ नहीं, वर्तमान में ENSO तटस्थ है। एल नीनो का प्रभाव नहीं दिख रहा है।
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