चंडीगढ़: हरियाणा की सैनी सरकार ने पारंपरिक कुम्हारों को आत्मनिर्भर और आधुनिक बनाने के लिए एक बड़ी योजना का ऐलान किया है। गुजरात मॉडल पर चलते हुए अब हरियाणा के हर गांव में कुम्हारों के लिए 5 एकड़ जमीन संरक्षित की जाएगी और उन्हें हाईटेक बनाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।
हरियाणा माटी कला बोर्ड और खादी ग्रामोद्योग कार्यालय ने इस योजना को तैयार किया है। इसके तहत कुम्हारों को काम के लिए न सिर्फ मिट्टी और वित्तीय सहायता दी जाएगी, बल्कि उनके हुनर को आधुनिक प्रशिक्षण देकर नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जाएगा।
मिट्टी से तकनीक तक: अब सोलर और इलेक्ट्रिक चाक
परंपरागत चाक की जगह अब कुम्हार सोलर और इलेक्ट्रिक चाक से काम करेंगे। उनके उत्पाद अब केवल गुल्लक, दीये या घड़े तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि वे सजावटी वस्तुओं और आवश्यक घरेलू सामान बनाकर वैश्विक बाज़ार में अपनी पहचान बना सकेंगे।
हर गांव में 5 एकड़ जमीन, सब्सिडी और ट्रेनिंग
सरकार हर गांव में कुम्हारों के लिए 5 एकड़ जमीन आरक्षित करेगी। अगर किसी गांव की मिट्टी बर्तन बनाने योग्य नहीं है तो पास के गांव से मिट्टी उपलब्ध कराई जाएगी। कुम्हारों को सब्सिडी पर लोन और आधुनिक टूल्स भी दिए जाएंगे। झज्जर में बंद पड़ा प्रशिक्षण केंद्र फिर से शुरू किया जा रहा है।
700 से ज्यादा कुम्हारों की सूची तैयार
पहले चरण में कुरुक्षेत्र, झज्जर, हिसार और कैथल जिलों के 700 से ज्यादा कुम्हारों की सूची तैयार की गई है। इनमें से 76 कुम्हारों ने पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन भी करा लिया है। जिला स्तर पर मिट्टी की गुणवत्ता की जांच और कुम्हारों की गिनती का काम शुरू हो चुका है।
MSME टूल किट और लोन की सुविधा
केंद्र सरकार की MSME योजना के तहत कुम्हारों को 15,000 रुपये की टूल किट मुफ्त दी जाती है। रजिस्ट्रेशन करने पर 2 लाख रुपये का लोन और समय पर भुगतान करने पर 1 लाख रुपये का अतिरिक्त लोन मिलेगा। वहीं खादी बोर्ड की स्कीम में 50 लाख रुपये तक के लोन पर सामान्य वर्ग को 25% और आरक्षित वर्ग एवं महिलाओं को 35% सब्सिडी दी जाएगी।
हरियाणा सरकार की यह पहल न केवल कुम्हारों की आर्थिक स्थिति मजबूत करेगी, बल्कि मिट्टी की कला को भी वैश्विक पहचान दिलाएगी। यह योजना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सशक्त कदम है।
अगर आप भी इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, तो जल्द ही अपने नजदीकी बीडीपीओ कार्यालय से संपर्क करें और रजिस्ट्रेशन करवाएं।