हरियाणा सरकार की सख्ती और पारदर्शी नीतियों का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आह्वान पर अब तक करीब 4 लाख अपात्र लोगों ने स्वयं को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) सूची से बाहर करवा लिया है। सरकार की चेतावनी थी कि यदि जांच में कोई अपात्र पाया गया, तो उससे न केवल पूर्व में मिली सुविधाओं की वसूली होगी, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
BPL सूची से कटे नाम, सुविधाएं होंगी बंद
हरियाणा सरकार के अनुसार, जुलाई माह में 3 लाख 90 हजार 833 परिवारों को राशन और अन्य सुविधाएं नहीं मिलेंगी, क्योंकि उन्होंने नैतिकता के आधार पर खुद बीपीएल लाभ छोड़ दिया है।
31 मार्च 2025 तक BPL परिवारों की संख्या: 51.96 लाख
जून 2025 तक यह घटकर हुई: 48.05 लाख
इससे सरकार का हजारों करोड़ का सालाना व्यय बचेगा, जो अब असली ज़रूरतमंदों के विकास पर खर्च किया जा सकेगा।
सिरसा में सबसे ज्यादा नाम हुए बाहर
बीपीएल सूची से सबसे ज्यादा परिवार सिरसा जिले में बाहर हुए हैं। हरियाणा परिवार पहचान पत्र प्राधिकरण के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. सतीश खोलाने बताया कि फैमिली आईडी में आय सही करवाने के बाद यह आंकड़ा लगातार गिर रहा है। उन्होंने कहा—
“सरकार की पारदर्शी प्रणाली और मुख्यमंत्री के आह्वान के बाद बड़ी संख्या में लोगों ने स्वयं को सूची से बाहर करवाकर जिम्मेदार नागरिक का परिचय दिया है।“
BPL सूची में गिरावट के पीछे ये हैं 5 बड़े कारण:
स्वरोजगार के अवसरों में वृद्धि
पारदर्शी भर्ती से गरीबों को सरकारी नौकरियां
अप्रवासी परिवारों का राज्य से बाहर जाना
परिवार प्रबोधन और आय वृद्धि
सरकारी योजनाओं (अंत्योदय, पारिवारिक पहचान) का लाभ
“बिना पात्रता के लाभ लेना गलत है”
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पहले ही कहा था कि बीपीएल सुविधाओं का लाभ केवल असली पात्रों को ही मिलना चाहिए। उन्होंने जनता से अपील की थी कि यदि कोई अपात्र व्यक्ति गलती से सूची में शामिल है, तो वह खुद को बाहर करवाए, अन्यथा उस पर कार्रवाई तय है।
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जिस “डिजिटल और पारदर्शी सिस्टम” की नींव रखी थी, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी उसी विज़न को आगे बढ़ाते हुए “सही व्यक्ति को सही लाभ” की नीति पर काम कर रहे हैं।