भारत के हरियाणा राज्य की पहचान केवल खेती-बाड़ी, खेलों और सैनिक परंपरा तक ही सीमित नहीं है। यह भूमि धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत पवित्र मानी जाती है। हरियाणा की मिट्टी ने महाभारत जैसे महान युद्ध का साक्षी किया, यही भूमि गीता ज्ञान का केंद्र बनी, और यही धरती कई संतों और महापुरुषों की तपस्थली रही। ऐसे में जब सवाल उठता है कि “हरियाणा का भगवान कौन है?”, तो इसका उत्तर एक ही नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों के आधार पर कई रूपों में सामने आता है।
गीता भूमि और श्रीकृष्ण
हरियाणा का सबसे बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व श्रीकृष्ण से जुड़ा है। कुरुक्षेत्र, जो हरियाणा के केंद्र में स्थित है, महाभारत युद्ध का मैदान रहा है। महाभारत के युद्ध के आरंभ में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यही कारण है कि हरियाणा को गीता भूमि भी कहा जाता है।
कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर, ज्योतिसर और आसपास के क्षेत्र हरियाणा की पहचान श्रीकृष्ण से जोड़ते हैं। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु गीता जयंती और अन्य धार्मिक अवसरों पर आते हैं।
इस दृष्टि से देखें तो हरियाणा का सबसे बड़ा भगवान श्रीकृष्ण माने जाते हैं।
शिव परंपरा और हरियाणा
श्रीकृष्ण के साथ-साथ हरियाणा शिवभक्ति की धरती भी है। यहां अनेक प्राचीन शिवलिंग और शिव मंदिर हैं। कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, रोहतक और सोनीपत जिलों में शिवभक्ति गहराई से जड़ी हुई है।
कैथल का कपाल मोचन तीर्थ शिव से जुड़ा हुआ है, जहां कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने भी तपस्या की थी।
हरियाणा की लोक संस्कृति में भी “भोलेनाथ” का महत्व अत्यधिक है। सावन के महीने में कांवड़ यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा जल लाकर हरियाणा के शिवालयों में जलाभिषेक करते हैं।
माता भक्ति और शक्ति परंपरा
हरियाणा में देवी शक्ति की भी गहरी परंपरा है। अंबाला का मनसा देवी मंदिर, पंचकूला का काली माता मंदिर और हिसार-भिवानी में स्थित शक्ति पीठ लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र हैं।
हरियाणा के गांवों में “ढाटू” और “देवी स्थलों” की पूजा आज भी ग्रामीण जीवन का हिस्सा है। यहां यह मान्यता है कि गांव की देवी उसकी रक्षा करती है।
महर्षि और संत परंपरा
हरियाणा में ऋषि-मुनियों की भी लंबी परंपरा रही है। महर्षि वेदव्यास, परशुराम, दुर्वासा और द्रोणाचार्य जैसे ऋषियों का उल्लेख हरियाणा से जुड़ता है।
द्रोणाचार्य: महाभारत के गुरु द्रोणाचार्य का संबंध गुरुग्राम (आज का गुरुग्राम जिला) से माना जाता है।
परशुराम: हरियाणा में परशुराम की पूजा भी व्यापक है, विशेषकर ब्राह्मण समाज में।
लोक देवता और क्षेत्रीय आस्था
हरियाणा में “लोक देवताओं” की भी पूजा बहुत होती है। ये देवता गांव और जातीय समाज के रक्षक माने जाते हैं।
गोगा जी (गोगा माड़ी पीर) – नागों के देवता, जिनकी पूजा हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में बड़े पैमाने पर होती है।
भानी माता, शीतला माता – रोगों से रक्षा करने वाली देवी।
बाल्मीकि, संत कबीर और बाबा मस्तान नाथ – हरियाणा की संत परंपरा के प्रमुख प्रतीक।
हरियाणा की संस्कृति में भगवान का रूप
हरियाणा का समाज वीरता और आस्था दोनों को एक साथ जीता है। यहां “भगवान” केवल मंदिरों तक सीमित नहीं, बल्कि लोकगीतों, रागनियों और मेलों में भी जीवित हैं।
हरियाणा के लोकगीतों में कृष्ण-गोपियों की कहानियां गाई जाती हैं।
शिव और शक्ति की आराधना ग्रामीण लोककथाओं में प्रचलित है।
लोक देवताओं की गाथाएं आज भी मेले-ठेलों में गाई जाती हैं।
धार्मिक पर्यटन और आधुनिक महत्व
आज हरियाणा धार्मिक पर्यटन का बड़ा केंद्र बन चुका है।
कुरुक्षेत्र – गीता भूमि, ब्रह्मसरोवर, ज्योतिसर।
पंचकूला – माता मनसा देवी और काली माता मंदिर।
गुरुग्राम – शीटला माता मंदिर।
कैथल – कपाल मोचन तीर्थ।
ये स्थल न केवल हरियाणा की धार्मिक पहचान हैं बल्कि राज्य की संस्कृति और इतिहास को भी दर्शाते हैं।
निष्कर्ष: हरियाणा का भगवान कौन है?
अगर प्रश्न का एक वाक्य में उत्तर दिया जाए तो—
हरियाणा का भगवान श्रीकृष्ण हैं, क्योंकि कुरुक्षेत्र की गीता भूमि और महाभारत का इतिहास उन्हें हरियाणा की आस्था और पहचान का सबसे बड़ा केंद्र बनाता है।
लेकिन, साथ ही हरियाणा की धार्मिक संस्कृति इतनी विविध है कि यहां शिव, माता शक्ति, लोक देवता और संत-महात्मा भी उतनी ही गहराई से पूजे जाते हैं। यही इस राज्य की आध्यात्मिक समृद्धि है।