हरियाणा के हिसार में कांग्रेस के ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ प्रदर्शन के दौरान मंच संचालन को लेकर आपस में भिड़ने वाले दोनों जिला अध्यक्षों के खिलाफ पार्टी ने कार्रवाई का रास्ता पकड़ लिया है। कांग्रेस की राज्य अनुशासन समिति ने शनिवार को अंबाला कैंट में हुई बैठक में हिसार के शहरी जिला अध्यक्ष बजरंगदास गर्ग और ग्रामीण जिला अध्यक्ष बृजलाल बहबलपुरिया को नोटिस जारी करने का फैसला किया है।
अनुशासन समिति ने लिया कड़ा फैसला
अंबाला स्थित कांग्रेस भवन में समिति के अध्यक्ष धर्मपाल मलिक की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में हिसार की घटना समेत कुल 7 मामलों पर विचार किया गया। समिति से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, दोनों जिलाध्यक्षों को 15 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा जाएगा कि आखिर कार्यक्रम के दौरान मंच पर ऐसी अराजक स्थिति क्यों पैदा हुई। समिति ने स्पष्ट किया कि यदि उनका जवाब संतोषजनक नहीं रहा, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
‘पार्टी से बड़ा कोई नहीं’, अब बर्दाश्त नहीं होगी बयानबाजी
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए समिति अध्यक्ष धर्मपाल मलिक ने कहा कि पार्टी हाईकमान ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे ईमानदारी और निष्पक्षता से निभाया जाएगा। उन्होंने दो अहम बातें कहीं:
कार्रवाई का अंदेशा: मलिक ने कहा, “हिसार और सिरसा से कुछ शिकायतें आई हैं, उन पर कार्रवाई शुरू कर दी है। पार्टी निर्देशों की अवहेलना करने वालों को कारण बताओ नोटिस भेजा जाएगा। नोटिस का संतोषजनक जवाब न मिलने पर कड़ी कार्रवाई होगी।”
गुटबाजी से इनकार: उन्होंने जोर देकर कहा कि समिति का कोई सदस्य किसी गुट से नहीं जुड़ा है और पूरी कमेटी एकजुट होकर पार्टी हित में काम कर रही है। उनका कहना था, “कोई भी नेता या कार्यकर्ता पार्टी से बड़ा नहीं है।”
समिति ने यह भी फैसला लिया कि अब पार्टी या किसी वरिष्ठ नेता के खिलाफ मीडिया, सोशल मीडिया या सार्वजनिक मंचों पर की जाने वाली अनुशासनहीन बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्या हुआ था हिसार में?
यह पूरा विवाद 18 नवंबर को हिसार में हुए ‘वोट चोर-गद्दी छोड़’ प्रदर्शन के दौरान पैदा हुआ था। जब कार्यक्रम शुरू होना था, तो शहरी जिला अध्यक्ष बजरंगदास गर्ग और ग्रामीण जिला अध्यक्ष बृजलाल बहबलपुरिया मंच संचालन को लेकर आपस में भिड़ गए। दोनों ने माइक पर कब्जा करने की कोशिश की, जिसके बाद मंच पर ही हाथापाई जैसे हालात बन गए। इस घटना ने पार्टी की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाया, जिसके बाद अनुशासन समिति ने यह कदम उठाया है।














