E-Highway: देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या ने एक नया दौर शुरू किया है, लेकिन EV यूज़रों के मन में एक डर हमेशा बना रहता है—क्या सफर के दौरान चार्जिंग मिलेगी? क्या चार्जिंग स्लो नहीं होगी? क्या हाईवे पर EV भरोसेमंद है? इसी समस्या को खत्म करने के लिए नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल (NHEV) देश में पहली बार 3G एनर्जी स्टेशन बनाने जा रहा है, जो भारत में EV चार्जिंग का पूरा गेम बदल देंगे। ये स्टेशन न सिर्फ अल्ट्रा-फास्ट चार्जिंग देंगे बल्कि हैरानी की बात यह है कि ये पूरी तरह ग्रिड-फ्री होंगे। यानी चार्जिंग स्टेशन बिजली कंपनी पर निर्भर नहीं रहेंगे, बल्कि खुद सोलर, विंड, हाइड्रोजन और बैटरी स्टोरेज से अपनी ऊर्जा पैदा करेंगे। यह भारत में पहली बार होने जा रहा है और इसे EV सेक्टर की सबसे बड़ी क्रांति माना जा रहा है।
ये स्टेशन सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल नहीं होंगे बल्कि इतनी पावर पैदा करेंगे कि एक स्टेशन अकेले सालभर में 8,000 टन CO2 बचा सकता है। इसका मतलब है कि इन हाइवेज़ पर चलने वाली EV सिर्फ “ज़ीरो एमिशन” नहीं बल्कि “रियल ज़ीरो एमिशन” कैटेगरी में आएंगी, क्योंकि चार्जिंग के लिए भी कोयले की बिजली इस्तेमाल नहीं होगी। NHEV ने यह योजना बड़े विज़न के साथ बनाई है कि आने वाले समय में भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बने, जहाँ हाईवे पर दौड़ने वाली गाड़ियाँ और चार्जिंग स्टेशन—दोनों मिलकर शुद्ध ग्रीन एनर्जी सिस्टम पर चलें। E-Highway
3G एनर्जी स्टेशन क्या है और क्यों खास है?
3G का मतलब है—ग्रीन एनर्जी, गिगानटिक और जेनरेशन नेक्स्ट टेक्नोलॉजी।
ये तीनों मिलकर EV चार्जिंग को पूरी तरह नए स्तर पर ले जाने वाले हैं।
सबसे पहले बात ग्रीन एनर्जी की। यह स्टेशन 100% रिन्यूएबल एनर्जी पर चलेंगे, और सबसे बड़ा अंतर यही है कि इन्हें ग्रिड से कनेक्शन की जरूरत नहीं होगी। सोलर पैनल दिन में बिजली बनाएंगे, विंड टरबाइन हवा से पावर जनरेट करेंगे, रात में बैटरियां ऊर्जा देंगी और साथ में हाइड्रोजन फ्यूल सेल अतिरिक्त बैकअप बनाए रखेगा। यानी स्टेशन चाहे जहां लगे हों, बिजली की कमी कभी नहीं होगी।
दूसरा हिस्सा है गिगानटिक। सामान्य चार्जिंग स्टेशन 50–100 KW तक की क्षमता रखते हैं, लेकिन NHEV के 3G स्टेशन 3.2 मेगावॉट की विशाल क्षमता वाले होंगे। इसका मतलब है कि यहाँ एक साथ 300 से ज्यादा कारें या 50 इलेक्ट्रिक बस/ट्रक चार्ज हो पाएंगे। यहां 60–120 KW फास्ट चार्जर, 500–600 KW पैंटोग्राफ चार्जर (बसों के लिए), वायरलेस चार्जिंग पैड, बैटरी स्वैप ज़ोन और हाइड्रोजन डिस्पेंसर भी एक ही जगह उपलब्ध होंगे। यह भारत को भविष्य के ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में विश्व स्तर पर अलग पहचान देने वाला कदम है। E-Highway
तीसरा हिस्सा है जेनरेशन नेक्स्ट। इस स्टेशन में 5G नेटवर्क होगा, AI लोड मैनेजमेंट रहेगा, जिससे चार्जिंग स्पीड खुद-ब-खुद एडजस्ट हो जाएगी। कार खुद बताएगी कि अगला 3G स्टेशन कहाँ है, कितना चार्ज चाहिए और कितना समय लगेगा। भविष्य में, 2047 तक, यह स्टेशन 6.4 MW पावर के लेवल पर अपग्रेड कर दिए जाएंगे। E-Highway
30 मिनट में 100–200 KM की रेंज: EV यूज़र्स की सबसे बड़ी समस्या खत्म
भारत में EV चलाने वाले लोगों की सबसे बड़ी झिझक यह होती है कि चार्जिंग बहुत समय लेती है। लेकिन अब NHEV 200 KW से 500 KW तक के अल्ट्रा-फास्ट चार्जर लगाने जा रहा है, जिससे कोई भी इलेक्ट्रिक कार सिर्फ 20 से 30 मिनट में 100–200 किलोमीटर की रेंज हासिल कर सकेगी। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे पेट्रोल पंप पर रुककर कुछ मिनट में टैंक भरवाया जाता है।
हाईवे पर ऐसी फास्ट चार्जिंग होने का मतलब है कि EV यूज़र्स को अब सफर के दौरान रुकने का डर नहीं रहेगा। खासकर दिल्ली-जयपुर और दिल्ली-आगरा जैसे लंबे रूट पर जहां पहले चार्जिंग मिलना मुश्किल था, अब हर 10 KM पर मेगा चार्जिंग हब तैयार होंगे। कल्पना कीजिए—दिल्ली से जयपुर के बीच एक ऐसा हाईवे जहां हर 10 KM पर चार्जिंग मिले और वो भी अल्ट्रा-फास्ट। यह भारत के ट्रांसपोर्ट को पूरी तरह बदल देगा।
देश का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे: दिल्ली–गुरुग्राम–जयपुर कॉरिडोर
कुछ साल पहले NHEV ने दिल्ली–गुरुग्राम–जयपुर हाईवे पर EV ट्रायल चलाया था। ट्रायल इतना सफल रहा कि इसे भारत का पहला इलेक्ट्रिक हाईवे घोषित कर दिया गया। अब सरकार इसे पूरी तरह EV-फ्रेंडली बनाने की तैयारी में है। इंडिया गेट से अल्बर्ट हॉल म्यूज़ियम (जयपुर) तक करीब 280 KM का यह हाईवे दुनिया में सबसे लंबा EV हाईवे बनने की ओर बढ़ रहा है। E-Highway
इस हाईवे पर दोनों साइड हर 10 किमी पर मेगा चार्जिंग हब बनने की योजना है। इसका फायदा यह होगा कि चाहे कार हो, बाइक हो या बस—किसी को भी चार्जिंग की चिंता नहीं रहेगी। लॉजिस्टिक्स कंपनियों, टैक्सी ऑपरेटरों और टूरिस्ट व्हीकल्स के लिए यह हाईवे एक वरदान साबित होगा। E-Highway












