हरियाणा सरकार ने राज्य में हुए बड़े धान खरीद घोटाले की जांच के बाद कड़ा कदम उठाते हुए 38 मंडी सचिवों को चार्जशीट कर दिया है। यह कार्रवाई हरियाणा स्टेट एग्रिकल्चर मार्केटिंग बोर्ड (HSAMB) द्वारा विभिन्न जिलों के डिप्टी कमिश्नरों (डीसी) की रिपोर्ट के आधारित की गई है। इन अधिकारियों पर गेट पास जारी करने में अनियमितता और गंभीर उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं।
जीटी बेल्ट के जिलों में सबसे ज्यादा कार्रवाई
चार्जशीट किए गए अधिकारियों में से अधिकतर जीटी बेल्ट (गंगा-यमुना दोआब) के छह जिलों से हैं। माना जा रहा है कि इस क्षेत्र में पीआर (परमाल) धान की अधिक पैदावार होने के कारण यहां खरीद प्रक्रिया में गड़बड़ियों का स्तर भी ऊंचा रहा। बोर्ड ने चार्जशीट से संबंधित पूरी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय भेज दी है, जहां से इन अधिकारियों के खिलाफ आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।
कई जिलों में उजागर हुए घोटाले
इस वर्ष की धान खरीद के दौरान करनाल, यमुनानगर और फतेहाबाद जिलों सहित कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर घोटाले सामने आए थे। इसमें फर्जी गेट पास बनाना, धान की नकली खरीद दर्ज करना और चावल मिल मालिकों के साथ सांठगांठ जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं। कुछ जिलों में तो अधिकारियों और मिल मालिकों के खिलाफ पुलिस मामले भी दर्ज किए गए थे। इन घटनाओं के बाद ही सरकार ने सभी जिला प्रशासनों से खरीद का विस्तृत ब्यौरा मांगा था।
साइबर जांच में हुआ बड़ा खुलासा
घोटाले की तह तक पहुंचने के लिए हरियाणा पुलिस की साइबर सेल ने भी तकनीकी जांच की। इस जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि कई गेट पास मंडी परिसर के बाहर स्थित आईपी एड्रेस से काटे गए थे, जबकि कुछ का आईपी एड्रेस दूसरे जिलों या यहां तक कि दूसरे राज्यों से जुड़ा हुआ था। इससे फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई और संदिग्ध गेट पास जारी करने वाले अधिकारियों की पहचान की गई।
बोर्ड के चीफ मार्केटिंग ऑफिसर (सीएमईओ) संजीव चौहान ने इस चार्जशीट कार्रवाई की पुष्टि की है। यह कदम राज्य सरकार के उस संकल्प को दर्शाता है, जिसमें किसानों के हितों को हानि पहुंचाने वाली और सरकारी कोष का दुरुपयोग करने वाली किसी भी अनियमितता को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।












