हरियाणा सरकार ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण फैसले में डीजीपी शत्रुजीत सिंह कपूर को राज्य के पुलिस प्रमुख के पद से मुक्त कर दिया। अब उनके पास केवल हरियाणा पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन का प्रभार रहेगा। वहीं, कार्यवाहक डीजीपी ओपी सिंह को अगले आदेश तक इस भूमिका को जारी रखने का निर्देश दिया गया है, हालांकि उनका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है।
पूरन कुमार आत्महत्या मामले से जुड़ा है निर्णय
यह निर्णय आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की 7 अक्टूबर को हुई आत्महत्या के बाद के घटनाक्रम में आया है। पूरन कुमार ने सुसाइड नोट में तत्कालीन डीजीपी शत्रुजीत कपूर सहित कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर प्रताड़ना और झूठे मामले दर्ज कराने के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके बाद सरकार ने 14 अक्टूबर से शत्रुजीत कपूर को दो महीने की छुट्टी पर भेज दिया था, जो 13 दिसंबर को समाप्त हो गई थी।
यूपीएससी ने नए पैनल को इस आधार पर लौटाया था
हरियाणा सरकार ने नए डीजीपी की नियुक्ति के लिए पांच अधिकारियों के नामों का एक पैनल संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजा था। यूपीएससी ने इस पैनल को लौटा दिया था, यह कहते हुए कि शत्रुजीत कपूर का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है और वे तकनीकी रूप से पद पर बने हुए हैं, इसलिए नई नियुक्ति से पहले उन्हें पद से मुक्त किया जाना जरूरी है।
25 दिसंबर तक नए पैनल का इंतजार
अब उम्मीद है कि यूपीएससी 25 दिसंबर तक एक बैठक करके राज्य सरकार को तीन नामों की एक नई पैनल सूची भेजेगा। इस बैठक में हरियाणा सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे, जिन्हें मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी नामित करेंगे। नए डीजीपी पद के लिए अजय सिंघल, आलोक मित्तल और ए.एस. चावला के नाम चर्चा में हैं, लेकिन मुख्य प्रतिद्वंद्विता आलोक मित्तल और अजय सिंघल के बीच मानी जा रही है।
पूरन कुमार की पत्नी ने लगाए थे गंभीर आरोप
दिवंगत आईपीएस अधिकारी पूरन कुमार की पत्नी व आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार ने चंडीगढ़ पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने ही उनके पति को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। उन्होंने जाति-आधारित गाली-गलौज, टारगेटेड मानसिक उत्पीड़न और सार्वजनिक अपमान जैसे गंभीर आरोप लगाए थे।
शत्रुजीत कपूर का डीजीपी पद से हटाया जाना एक प्रशासनिक और प्रक्रियात्मक कदम है, जो यूपीएससी की आपत्ति और पूरन कुमार मामले में लगे गंभीर आरोपों के मद्देनजर लिया गया है। अब राज्य सरकार की नजर 25 दिसंबर तक यूपीएससी से आने वाले नए पैनल पर टिकी है, ताकि ओपी सिंह की सेवानिवृत्ति से पहले ही एक नए पुलिस प्रमुख की नियुक्ति की जा सके। यह मामला हरियाणा पुलिस के शीर्ष नेतृत्व में एक बड़े बदलाव की शुरुआत का संकेत देता है।












