Haryana Govt Jobs Bonus Marks Case 2025 Update: हरियाणा में सामाजिक और आर्थिक आधार पर सरकारी नौकरियों में दिए गए बोनस अंकों को लेकर चल रही बहस पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्टने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने साफ किया है कि इन बोनस अंकों के आधार पर नियुक्त कर्मचारियों को निकाला नहीं जाएगा, बल्कि सरकार उन्हें कॉन्ट्रैक्ट आधार पर बनाए रखेगी और भविष्य में रेगुलर पदों पर मौका देगी।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
1. कर्मचारियों की गलती नहीं, नियम दोषपूर्ण:
हाईकोर्ट की डबल बेंच (जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी मेहता) ने कहा कि इन कर्मचारियों की कोई गलती नहीं है। 2019 के बाद जिन भर्तियों में बोनस अंक दिए गए, उन सभी परिणामों को रद्द करते हुए नई मेरिट लिस्ट तैयार करने का आदेश दिया गया है।
2. नो-फॉल्ट थ्योरी लागू:
कोर्ट ने “नो-फॉल्ट थ्योरी” लागू करते हुए कहा कि जो उम्मीदवार लिखित परीक्षा पास कर चुके हैं और लंबे समय से काम कर रहे हैं, उन्हें नौकरी से नहीं निकाला जाना चाहिए।
3. सरकार के नियम में थी गलती:
कोर्ट ने कहा कि बिना वैज्ञानिक और सामाजिक आंकड़ों के ऐसे बोनस अंक देना संविधान के समान अवसर के सिद्धांत के खिलाफ है। यह आरक्षण की 50% सीमा का भी उल्लंघन करता है, जिसे अदालत ने गैरकानूनी बताया।
4. 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी होंगे प्रभावित:
इस फैसले का सीधा असर 10,000 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों पर पड़ेगा, जिन्हें अब संशोधित मेरिट के अनुसार कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जाएगा।
सरकार का तर्क खारिज
राज्य सरकार ने यह तर्क दिया था कि यह नीति समाज के कमजोर वर्गों को मौका देने के लिए थी। लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि योग्यता से हटकर सामाजिक स्थिति पर बोनस अंक देना संविधान की मूल भावना के खिलाफ है।
पृष्ठभूमि क्या है?
मनोहर लाल खट्टर सरकार ने 2021 में फैसला लागू किया था कि जिन परिवारों की वार्षिक आय 1.80 लाख से कम है और जिनमें कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है, उनके बच्चों को 5 बोनस अंक दिए जाएंगे। यही नीति अब हाईकोर्ट के निशाने पर है।
अगर आप या आपके परिवार में कोई इस नीति के तहत सरकारी नौकरी में है तो राहत की खबर है – सरकार नौकरी से नहीं निकालेगी, बल्कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम जारी रहेगा और आगे रेगुलर अवसर मिलने पर प्राथमिकता दी जाएगी। यह फैसला राज्यभर के हजारों युवाओं के भविष्य को प्रभावित करेगा।