हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: कैथल पुलिस कर्मचारियों की सीनियरिटी और प्रमोशन पर रोहतक रेंज का आदेश रद्द

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कैथल जिले के पुलिस कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने रोहतक रेंज द्वारा जारी सीनियरिटी और प्रमोशन से जुड़े विवादित आदेश ...

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वैशाली वर्मा

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हरियाणा

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कैथल जिले के पुलिस कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने रोहतक रेंज द्वारा जारी सीनियरिटी और प्रमोशन से जुड़े विवादित आदेश को रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कैथल पुलिसकर्मियों की वरिष्ठता और प्रमोशन का निर्णय केवल करनाल रेंज कर सकती है।

इस फैसले से कैथल जिले के करीब 70 पुलिस कर्मचारियों (एएसआई और एसआई रैंक) को सीधा लाभ मिलेगा। इनमें से कुछ अब सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं, जिन्हें अब एरियर और पेंशन लाभ भी मिलेगा।

क्या था मामला?
यह केस सब-इंस्पेक्टर मोहिंदर सिंह और अन्य कर्मचारियों की याचिका से जुड़ा था। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता कर्मवीर सिंह बनयाना ने अदालत में दलील दी कि उनके मुवक्किल वर्ष 2004 से 2008 के बीच कैथल जिले में हेड कांस्टेबल के रूप में कन्फर्म हुए थे। जबकि उनके जूनियर साथी 2009 से 2011 में करनाल और पानीपत में कन्फर्म हुए।

इसके बावजूद वर्ष 2019 में रोहतक रेंज ने सीनियरिटी सूची में बदलाव करते हुए जूनियर्स को सीनियर घोषित कर दिया और उन्हें एंटीडेटेड प्रमोशन भी दे दिए।

हाईकोर्ट का तर्क
न्यायमूर्ति जगमोहन बंसल ने कहा कि 29 सितंबर 2011 को करनाल रेंज के गठन के बाद कैथल, करनाल और पानीपत जिलों के कर्मचारियों की सीनियरिटी और प्रमोशन का फैसला केवल करनाल रेंज कर सकती है। रोहतक रेंज को इसमें हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं था।

इसलिए रोहतक रेंज का आदेश पूरी तरह गलत था। अदालत ने उसे रद्द करते हुए डीजीपी हरियाणा को निर्देश दिया कि तीन माह में नए आदेश जारी करें।

कर्मचारियों में खुशी
फैसले के बाद कैथल पुलिस लाइन और थानों में तैनात कर्मचारियों ने हाईकोर्ट के इस आदेश का स्वागत किया। उनका कहना है कि वर्षों से लंबित उनके हक की बहाली हुई है और इससे मनोबल भी ऊंचा होगा। कर्मचारी संगठनों ने भी इसे ऐतिहासिक फैसला करार दिया है और सरकार से समय पर पालन की अपील की है।

यह आदेश केवल कैथल पुलिस कर्मचारियों पर लागू होगा और भविष्य में किसी अन्य रेंज को उनके मामलों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होगा।

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