हरियाणा में कौन सी जाति ज्यादा है? चलिए जानतें है- हरियाणा भारत का एक ऐसा राज्य है, जो अपनी संस्कृति, कृषि, खेल और राजनीति में विशेष स्थान रखता है। यहां की सामाजिक संरचना जातीय आधार पर काफी विविधतापूर्ण है। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि “हरियाणा में कौन सी जाति ज्यादा है?”
2019 के अनुमानित आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा में सबसे बड़ी जाति जाट है, जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 25-30% हिस्सा बनाते हैं। इनके बाद अनुसूचित जाति (Scheduled Caste) आती है, जिनकी संख्या राज्य की लगभग 21% आबादी है। इसके अलावा हरियाणा में ब्राह्मण, खत्री, अहीर/यादव, वैश्य, राजपूत, गुज्जर, सैनी, कुम्हार और जाट सिख जैसी कई प्रमुख जातियां भी रहती हैं।
हरियाणा में जाट जाति की स्थिति
हरियाणा में जाट जाति को सबसे बड़ी आबादी वाली जाति माना जाता है।
इनकी जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 25-30% है।
जाट जाति मुख्य रूप से किसान और ज़मींदार वर्ग से जुड़ी मानी जाती है।
राजनीति में भी जाटों का काफी दबदबा रहा है। कई मुख्यमंत्री, सांसद और विधायक इसी समुदाय से आते रहे हैं।
जाटों की बहुलता खासकर रोहतक, सोनीपत, झज्जर, जींद, हिसार और भिवानी जिलों में देखने को मिलती है। यही कारण है कि हरियाणा की राजनीति में जाटों की भूमिका हमेशा निर्णायक रही है।
अनुसूचित जाति (SC)
हरियाणा की दूसरी सबसे बड़ी जातीय समूह अनुसूचित जाति का है।
इनकी जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 21% है।
अनुसूचित जातियों का हरियाणा में सामाजिक और राजनीतिक महत्व बहुत बड़ा है।
अंबेडकर जयंती और अन्य दलित आंदोलन हरियाणा की सामाजिक संरचना में गहरी छाप छोड़ते हैं।
सिरसा, फतेहाबाद, करनाल और पलवल जैसे जिलों में अनुसूचित जाति की आबादी उल्लेखनीय है।
खत्री
खत्री समुदाय हरियाणा में मुख्य रूप से शहरी क्षेत्रों में पाया जाता है।
इनकी आबादी राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 8% है।
खत्री मुख्य रूप से व्यापार, शिक्षा और सेवा क्षेत्र से जुड़े रहते हैं।
राजनीति और प्रशासन में भी इनकी अच्छी भागीदारी देखने को मिलती है।
ब्राह्मण
ब्राह्मण समुदाय हरियाणा में लगभग 7.5% जनसंख्या का हिस्सा है।
ये मुख्य रूप से धार्मिक कार्यों, शिक्षा और प्रशासनिक सेवाओं से जुड़े होते हैं।
रोहतक, करनाल, पानीपत और अंबाला जिलों में ब्राह्मणों की अच्छी संख्या पाई जाती है।
अहीर/यादव
हरियाणा में अहीर या यादव जाति की जनसंख्या लगभग 5.1% है।
यह जाति मुख्य रूप से दक्षिणी हरियाणा (रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुरुग्राम, नूंह) में पाई जाती है।
यादवों की पहचान परंपरागत रूप से वीरता और सैन्य सेवा से जुड़ी है।
स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय सेना में यादव समुदाय का बड़ा योगदान रहा है।
वैश्य
वैश्य समुदाय राज्य की कुल आबादी का लगभग 5% है।
ये मुख्य रूप से व्यापार और व्यवसाय से जुड़े रहते हैं।
रोहतक, सोनीपत, अंबाला और करनाल में वैश्य समाज का खासा प्रभाव है।
जाट सिख
हरियाणा में जाट सिखों की आबादी लगभग 4% है।
ये मुख्य रूप से सिरसा और फतेहाबाद जिलों में पाए जाते हैं।
जाट सिख समुदाय कृषि और धार्मिक गतिविधियों से जुड़ा होता है।
मेव (अन्य मुस्लिम)
हरियाणा में मुस्लिम आबादी अपेक्षाकृत कम है।
इनमें से प्रमुख समूह मेव कहलाते हैं, जो नूंह (मेवात) और पलवल जिलों में केंद्रित हैं।
मेवों की आबादी हरियाणा में लगभग 3.8% है।
राजपूत
हरियाणा में राजपूत समुदाय की आबादी लगभग 3.4% है।
ये जाति ऐतिहासिक रूप से वीरता और शौर्य के लिए जानी जाती है।
राजपूत समुदाय हरियाणा के अंबाला, पंचकूला और यमुनानगर जिलों में अधिक पाए जाते हैं।
गुज्जर
गुज्जर समुदाय की जनसंख्या लगभग 3.35% है।
यह जाति मुख्य रूप से कृषि और पशुपालन से जुड़ी है।
गुज्जरों की उपस्थिति गुरुग्राम, पलवल और नूंह जिलों में अधिक देखी जाती है।
सैनी
सैनी समुदाय हरियाणा में लगभग 2.9% है।
सैनी जाति परंपरागत रूप से खेती और बागवानी से जुड़ी रही है।
करनाल, कुरुक्षेत्र और अंबाला जिलों में सैनी समाज की अच्छी उपस्थिति है।
कुम्हार
कुम्हार जाति की जनसंख्या लगभग 2.7% है।
यह जाति परंपरागत रूप से मिट्टी के बर्तन और कुम्हारी कला से जुड़ी रही है।
आधुनिक समय में कुम्हार समुदाय भी शिक्षा, नौकरी और अन्य व्यवसायों की ओर बढ़ रहा है।
जातीय समीकरण और राजनीति
हरियाणा में जातीय समीकरण राजनीति की दिशा और दशा तय करते हैं।
जाट समुदाय का बड़ा जनसंख्या आधार उन्हें राजनीतिक रूप से प्रभावशाली बनाता है।
अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़े वर्ग भी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
यही कारण है कि हरियाणा की राजनीति हमेशा से जातीय संतुलन और समीकरणों पर आधारित रही है।
निष्कर्ष
तो “हरियाणा में कौन सी जाति ज्यादा है?” इस सवाल का सीधा जवाब है – जाट समुदाय।
जाट लगभग 25-30% आबादी के साथ राज्य की सबसे बड़ी जाति हैं।
इनके बाद अनुसूचित जाति (21%), खत्री (8%), ब्राह्मण (7.5%), अहीर/यादव (5.1%), वैश्य (5%), जाट सिख (4%) और अन्य जातियां आती हैं।
हरियाणा की सामाजिक संरचना जातीय विविधता से भरपूर है, और यही विविधता इसे राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से खास बनाती है।