उत्तर भारत के प्रसिद्ध तीर्थ कपाल मोचन मेले के लिए हरियाणा रोडवेज के अंबाला डिपो ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक तैयारियां पूरी कर ली हैं। यमुनानगर के बिलासपुर में 1 नवंबर से 5 नवंबर, 2025 तक आयोजित होने वाले इस पांच दिवसीय मेले के लिए अंबाला रोडवेज 100 से अधिक अतिरिक्त बसों का संचालन करेगा। इस मेले में हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश से 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
बसों का संचालन और किराया
रूट: बसें अंबाला छावनी बस स्टैंड से सीधे बिलासपुर (कपाल मोचन) तक चलेंगी।
किराया: एक तरफ का किराया लगभग ₹70 से ₹75 के बीच रहेगा।
शुरुआत: स्पेशल बस सेवा 1 नवंबर को सुबह 8 बजे से शुरू हो जाएगी।
चरणबद्ध तरीके से बढ़ेंगी बसें
श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए बसों का संचालन एक खास योजना के तहत किया जाएगा:
1 नवंबर (पहला दिन): 20 बसें
2 नवंबर (दूसरा दिन): 30 बसें
3 नवंबर (तीसरा दिन): 40 बसें
4 और 5 नवंबर (अंतिम दो दिन): 50 से अधिक बसें
अंबाला डिपो के कार्यशाखा निरीक्षक बहादुर सिंह ने बताया कि श्रद्धालुओं की संख्या के अनुसार बसों की उपलब्धता हर समय सुनिश्चित की जाएगी।
बस स्टैंड पर विशेष सुविधाएं
हेल्प डेस्क: अंबाला छावनी बस स्टैंड पर मेले में जाने वाले यात्रियों के लिए एक विशेष हेल्प डेस्क स्थापित किया जाएगा।
टेंट की व्यवस्था: यात्रियों के आराम और रुकने के लिए बस स्टैंड परिसर में टेंट लगाए जाएंगे।
पेयजल: सभी बसों में पीने के पानी की भी व्यवस्था की जाएगी।
मेले का पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
कपाल मोचन मेला, जिसे ‘गोपाल मोचन’ भी कहा जाता है, का उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। यह हिंदुओं और सिखों, दोनों के लिए एक प्राचीन तीर्थ स्थल है।
तीन पवित्र सरोवर: श्रद्धालु यहां तीन पवित्र सरोवरों – श्री कपाल मोचन सरोवर, श्री ऋण मोचन सरोवर और श्री सूरजकुंड सरोवर में स्नान करने आते हैं।
भगवान राम से जुड़ाव: मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान राम ने रावण वध के बाद ब्रह्म हत्या दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां स्नान किया था।
गुरु गोबिंद सिंह का आगमन: गुरु गोबिंद सिंह जी भी 1679 में भंगनी की लड़ाई के बाद 52 दिनों तक यहां रुके थे।
मेला प्रशासन ने सफाई, सुरक्षा, पेयजल, और स्वास्थ्य सेवाओं सहित सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं ताकि देश भर से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।











