सिरसा हरियाणा का सबसे बड़ा जिला क्षेत्र में है, जो उत्तरी और पश्चिमी हरियाणा में स्थित है। 2011 की जनगणना के अनुसार, सिरसा की कुल जनसंख्या 1,295,189 है, जिसमें 75.35% ग्रामीण जनसंख्या शामिल है। हालांकि “सफेद सोने की नगरी” के रूप में प्रसिद्ध कपास उत्पादन में भारी गिरावट आ रही है, लेकिन सिरसा अभी भी गेहूं, चावल और अन्य फसलों का एक प्रमुख उत्पादक बना हुआ है। यह व्यापक रिपोर्ट सिरसा के भूगोल, कृषि, औद्योगिक विकास, राजनीतिक महत्व, सांस्कृतिक विरासत और समकालीन चुनौतियों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
सिरसा की कृषि का आधार गेहूं पर है, जिसका 2024 में 14.44 लाख टन उत्पादन होता है, जो हरियाणा में सर्वोच्च है। चावल का उत्पादन 6.02 लाख टन तक पहुंच गया है, जबकि कपास का उत्पादन 4.30 लाख टन में आ गया है।

भौगोलिक परिचय और जनांकिकीय विविधता
सिरसा 4,277 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में विस्तृत है, जो इसे हरियाणा का सबसे बड़ा जिला बनाता है। जिले की जनसंख्या घनत्व 303 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है, जो हरियाणा के अन्य औद्योगिक जिलों की तुलना में कम है। 2011 की जनगणना के अनुसार, कुल जनसंख्या 1,295,189 है, जिसमें 683,242 पुरुष (52.75%) और 611,872 महिलाएं (47.25%) शामिल हैं।
शहरी और ग्रामीण विभाजन सिरसा की कृषि-केंद्रित प्रकृति को दर्शाता है, जहां मात्र 24.65% जनसंख्या शहरी क्षेत्रों में रहती है, जबकि 75.35% ग्रामीण इलाकों में रहती है। शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर 79.2% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 65.4% है, जो शहरी-ग्रामीण शिक्षा विभाजन को स्पष्ट करता है। जिले का लिंगानुपात 897 है (प्रति 1000 पुरुषों पर 897 महिलाएं), जो एक महत्वपूर्ण समस्या को दर्शाता है, क्योंकि बाल लिंगानुपात 862 है, जो कन्या भ्रूण हत्या की समस्या को संकेत करता है।

शहरी और ग्रामीण जनसंख्या का वितरण सिरसा के कृषि आधारित विकास के पैटर्न को प्रतिबिंबित करता है, जहां ग्रामीण जनसंख्या 75.35% में रहती है।
कृषि: अर्थव्यवस्था की बुनियाद
कृषि सिरसा की अर्थव्यवस्था का आधार है, जहां कुल भौगोलिक क्षेत्र का 90% कृषि योग्य है। जिला हरियाणा में सर्वोच्च कृषि विकास सूचकांक (0.985) प्राप्त करता है, जो इसे राज्य का सबसे कृषि-विकसित जिला बनाता है। 53.4% किसान छोटे और सीमांत हैं जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि है, और 78.4% सिंचाई भाखड़ा नहर से की जाती है।
प्रमुख फसलें और उत्पादन
गेहूं सिरसा की सबसे महत्वपूर्ण फसल है, जिसका 2024 में 14.44 लाख टन उत्पादन होता है, जो हरियाणा में अधिकतम है। चावल की खेती में तेजी से वृद्धि हुई है, जहां 2024 में 1.56 लाख हेक्टेयर में खेती की गई, जिसका उत्पादन 6.02 लाख टन था। यह 2018 में 97,000 हेक्टेयर से एक नाटकीय वृद्धि दर्शाता है। कपास की खेती, जो कभी सिरसा की पहचान थी, 2024 में केवल 1.37 लाख हेक्टेयर में सीमित रह गई, जहां 4.30 लाख टन उत्पादन हुआ।

कपास उत्पादन में भारी गिरावट सिरसा के कृषि परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव दर्शाती है, जहां 2020-2024 के बीच अस्थिरता विद्यमान रही है।
कपास संकट: ऐतिहासिक ह्रास
सिरसा को “सफेद सोने की नगरी” के नाम से जाना जाता था, लेकिन इसकी कपास विरासत तेजी से ह्रास हो रही है। 2003-2014 के दौरान बीटी कपास क्रांति (बीजी-1 और बीजी-2 किस्मों के आगमन से) के बाद सिरसा में 2011 में कपास उत्पादन का शिखर 9.56 लाख टन था, जब 2.11 लाख हेक्टेयर में खेती की जाती थी। हालांकि, पिछले 5-6 वर्षों में स्थिति बिगड़ी है।
कपास उत्पादन में गिरावट के कारणों में शामिल हैं: सफेद मक्खी और गुलाबी सुंडी का भीषण प्रकोप, अनुमानित नहीं होने वाली जलवायु परिस्थितियां, बीज प्रौद्योगिकी में पूर्ण ठहराव, और नई पीढ़ी की कपास किस्मों की अनुपलब्धता। किसानों का रुख चावल की ओर हो गया है, भले ही सिरसा की जलवायु और मिट्टी चावल के लिए आदर्श नहीं हैं। कृषि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यह स्थानांतरण जल संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डाल रहा है और दीर्घकालीन मिट्टी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है।
जल संसाधन और सिंचाई चुनौतियां
जल प्रबंधन सिरसा की सबसे बड़ी चुनौती है। घग्गर नदी मौसमी है और गर्मियों में पूरी तरह सूख जाती है। नहरें मई-जून में बंद हो जाती हैं, जिससे गांवों को “जुगाड़” विधि से ट्रैक्टर पंपों द्वारा पानी दिया जाता है, जो अस्थिर और अपर्याप्त है। भूजल की गुणवत्ता भी चिंताजनक है, जहां 49% नमूने सिंचाई के लिए उपयुक्त पाए गए, जबकि बाकी में नमक की अत्यधिक मात्रा है, जो मिट्टी की लवणता को बढ़ाता है।
राजनीतिक विरासत और समकालीन चुनाव
चौधरी देवी लाल की राजनीतिक विरासत
सिरसा का सबसे प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्तित्व चौधरी देवी लाल हैं, जिन्हें “शेर-ए-हरियाणा” (हरियाणा का शेर) के नाम से जाना जाता है। चौधरी देवी लाल 1957 में सिरसा से विधानसभा के सदस्य चुने गए, कांग्रेस में 39 साल रहे, और 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। वे 1977 और 1987 में दो बार मुख्यमंत्री रहे, और आपातकाल के विरुद्ध उनके साहसिक विरोध के लिए प्रसिद्ध हैं।
उनकी राजनीतिक विरासत सिरसा में गहरी जड़ें रखती है, और उनके पोते चौधरी ओम प्रकाश चौटाला भी हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं। जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी), जो राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी है, सिरसा में आधारित है।
2024 के चुनाव परिणाम

2024 की हरियाणा विधानसभा चुनाव में:
गोकुल सेतिया (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) 79,020 वोट (50%) से जीते, 7,234 वोटों के अंतर से गोपाल कंडा (हरियाणा लोकहित पार्टी) को हराया, जिन्हें 71,786 वोट (45.43%) मिले
यह कांग्रेस की महत्वपूर्ण जीत थी
2024 के लोकसभा चुनावों में:
कुमारी सेलजा (भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस) 7,33,823 वोटों से जीतीं
वे 2,68,497 वोटों के अंतर से भाजपा के अशोक तंवर को हराया, जिन्हें 4,65,326 वोट मिले
यह कुमारी सेलजा की सिरसा से तीसरी जीत है, और उन्होंने कुल पांचवीं बार सांसद बनने का सम्मान पाया
सिरसा लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है और 9 विधानसभा खंड शामिल हैं।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
सिरसा के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल हैं:
डेरा साचा साउदा: 1948 में शाह मस्तना जी द्वारा स्थापित, यह सत्य, कल्याण और ध्यान के सिद्धांत सिखाता है, जिसके विश्वभर में लाखों अनुयायी हैं।
तारा बाबा कुटिया: सिरसा शहर से 7 किमी दूर, यह एक सुंदर मंदिर परिसर है जिसमें शिव, हनुमान, दुर्गा और सरस्वती को समर्पित कई मंदिर हैं।
डेरा बाबा सरसाई नाथ: 13वीं शताब्दी का प्राचीन मंदिर, माना जाता है कि मुगल सम्राट शाहजहां ने अपने बीमार पुत्र के स्वस्थ होने के लिए यहां आशीर्वाद लेने आए थे।
गुरुद्वारा चिल्ला साहिब: दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह का ऐतिहासिक स्थल, जहां वे 1706 में तीन दिन रहे थे।
शिक्षा और विकास
सिरसा में शैक्षिक बुनियादी ढांचा शामिल है:
1 विश्वविद्यालय: चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय
3 कॉलेज और 3 इंजीनियरिंग कॉलेज
227 माध्यमिक स्कूल, 143 मध्य स्कूल, 537 प्राथमिक स्कूल
साक्षरता दर 68.82% है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
सिरसा हरियाणा का सबसे बड़ा जिला है और गेहूं, चावल जैसी खाद्य फसलों का एक प्रमुख उत्पादक है। कपास के उत्पादन में नाटकीय गिरावट एक महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौती बनी हुई है, लेकिन जिला अभी भी हरियाणा के कृषि विकास में अग्रणी भूमिका निभाता है। राजनीतिक रूप से सिरसा अत्यंत महत्वपूर्ण है, और यह जिला चौधरी देवी लाल की विरासत का प्रतीक है। जल संसाधनों का टिकाऊ प्रबंधन और कृषि विविधीकरण सिरसा के भविष्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण होंगे।












