ये कहानी है एक मुल्क की, जो भारत के खिलाफ युद्ध की धमकियां देता है, लेकिन हर बच्चा जब पैदा होता है, उसके सिर पर 86,500 रुपये का कर्ज लाद दिया जाता है। ये कोई जंग का मेडल नहीं, ये है पाकिस्तान की हकीकत। पेट्रोल, गैस, सैलरी, सब्सिडी – सब कर्ज के भरोसे। और अब, भारत कह रहा है, ‘IMF, इस कंगाल मुल्क को और कर्ज मत दो।’ लेकिन कर्ज की ये कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं, ये उस मुल्क की कहानी है, जो कर्ज के जाल में उलझा है और युद्ध की बातें करता है। क्या कंगाली में युद्ध संभव है? आइए, इस मायाजाल की परतें खोलते हैं। क्योंकि सवाल पूछना जरूरी है, वरना जवाब कौन देगा?
जून 2024 की सरकारी रिपोर्ट कहती है – 256 बिलियन डॉलर। यानी 21.6 लाख करोड़ रुपये। ये उनकी GDP का 67% है। इस कर्ज के दो हिस्से हैं – एक देश के भीतर का, जो अपने बैंकों से उधार लिया, और दूसरा विदेशी कर्ज, जो दुनिया भर के मुल्कों और IMF से मांगा। विदेशी कर्ज चुकाने के लिए डॉलर चाहिए, लेकिन उनके पास क्या है? सिर्फ 1.3 लाख करोड़ रुपये का विदेशी मुद्रा भंडार। इतने में तो तीन महीने का इम्पोर्ट भी नहीं चल सकता। जब जेब में इतना ही पैसा हो कि बस अगले तीन महीने की रोटी चले, तो आप युद्ध की बात कैसे करते हैं? क्या टैंकों में पेट्रोल की जगह कर्ज भरा जाएगा? ये सवाल है, जिसका जवाब लाहौर की गलियों से लेकर इस्लामाबाद के दफ्तरों तक गूंज रहा है।
वर्ल्ड बैंक की 2024 की रिपोर्ट बताती है – चीन ने 28.7 बिलियन डॉलर यानी 2.42 लाख करोड़ रुपये दिए। CPEC के नाम पर सड़कें, बंदरगाह, बिजलीघर। 2000 से 2021 तक 433 प्रोजेक्ट्स के लिए कर्ज लिया। लेकिन डिटेल? वो तो पाकिस्तान की सरकार छुपाती है, जैसे कोई पुराना युद्ध का नक्शा जिसे दुश्मन न देख ले। सऊदी अरब ने 9.16 बिलियन डॉलर दिए – कुल कर्ज का 7%। 2019 में 3 बिलियन का कैश डिपॉजिट, 2023 में 300 मिलियन तेल के लिए, और 2024 में 5 बिलियन का डिपॉजिट, जो 2025 में रोलओवर होगा। IMF ने 7.5 बिलियन डॉलर दिए, जिसमें 7 बिलियन का 37 महीने का लोन शामिल है, जो सितंबर 2024 में शुरू हुआ। UAE, कतर भी इस लिस्ट में हैं। सवाल ये नहीं कि कर्ज किसने दिया। सवाल ये है – जब कर्जदाता ब्याज मांगेंगे, तो पाकिस्तान क्या जवाब देगा? ‘भाई, अभी तो भारत से लड़ाई की तैयारी है, बाद में देखते हैं?’ लेकिन कंगाल जेब से लड़ाई कैसे होगी?
इतना कर्ज लेकर करते क्या हैं? जवाब कड़वा है। पहला, पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज। दिसंबर 2020 में चीन ने 12.6 हजार करोड़ रुपये दिए, और उसी वक्त सऊदी को 8.4 हजार करोड़ की किस्त चुकाई। ये तो वही बात है, जैसे एक कर्ज का ब्याज चुकाने के लिए दूसरा कर्ज ले लो। दूसरा, इम्पोर्ट। पेट्रोल, गैस – सब बाहर से। सितंबर 2024 में उनके पास 79.2 हजार करोड़ रुपये का रिजर्व था, जो एक महीने के इम्पोर्ट के लिए भी कम था। विदेश में उनके अफसरों को सैलरी तक नहीं मिल रही थी। बाकी पैसा? डिफेंस बजट, सब्सिडी, सरकारी खर्च। आटा सस्ता करना, बिजली का बिल कम दिखाना, और हां, भारत के खिलाफ बयानबाजी के लिए बड़े-बड़े मंच। लेकिन सवाल ये है – जब जेब खाली हो, और मुल्क कर्ज के दम पर सांस ले रहा हो, तो युद्ध की बातें क्या सिर्फ हवा में तलवारें भांजने जैसी नहीं? क्योंकि टैंक तो पेट्रोल से चलते हैं, कर्ज के कागजों से नहीं।
क्या भारत IMF से ये कर्ज रुकवा देगा? 9 मई 2025 को IMF की मीटिंग है। 1.3 बिलियन डॉलर यानी 10.9 हजार करोड़ रुपये के कर्ज का रिव्यू होगा। खबर है, भारत ‘आतंकवाद’ का मुद्दा उठाएगा। कहेगा, ‘ये कर्ज आतंक को फंड करता है, और भारत के खिलाफ साजिशों को हवा देता है।’ पिछली बार भारत चुप रहा, लेकिन इस बार वोट कर सकता है। जानकार कहते हैं, ‘IMF के अपने नियम हैं – शर्तें, FATF रैंकिंग, कर्ज चुकाने की क्षमता। भारत कोशिश करेगा, लेकिन कर्ज रोकना आसान नहीं।’ सवाल ये है – क्या भारत का विरोध सिर्फ सियासत है, या कंगाल पाकिस्तान की हकीकत को दुनिया के सामने लाने की कोशिश? क्योंकि जब एक मुल्क भारत के खिलाफ युद्ध की धमकी देता है, लेकिन उसकी जेब में सिर्फ कर्ज के कागज हैं, तो दुनिया क्या सोचेगी? वो बच्चा, जो 86,500 रुपये के कर्ज के साथ पैदा हुआ, क्या युद्ध के सपने देखेगा, या रोटी के?
क्या पाकिस्तान ये कर्ज चुका पाएगा? अगले चार साल में 100 बिलियन डॉलर यानी 8.4 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं। जुलाई 2025 तक 30.35 बिलियन डॉलर यानी 2.56 लाख करोड़ रुपये का कर्ज और ब्याज देना है। लेकिन स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान कहता है, जून 2025 तक रिजर्व सिर्फ 14 बिलियन डॉलर होगा। ये तो वैसा है, जैसे पहाड़ पर चढ़ने के लिए टूटी रस्सी हो। मई 2024 में IMF ने कहा, ‘पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की हालत पतली है।’ सवाल ये है – जब एक मुल्क भारत के खिलाफ युद्ध की धमकी देता है, लेकिन उसकी जेब में सिर्फ कर्ज के कागज हैं, तो दुनिया क्या सोचेगी? वो बच्चा, जो 86,500 रुपये के कर्ज के साथ पैदा हुआ, क्या युद्ध के सपने देखेगा, या रोटी के?
क्या पाकिस्तान ये कर्ज चुका पाएगा? अगले चार साल में 100 बिलियन डॉलर यानी 8.4 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं। जुलाई 2025 तक 30.35 बिलियन डॉलर यानी 2.56 लाख करोड़ रुपये का कर्ज और ब्याज देना है। लेकिन स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान कहता है, जून 2025 तक रिजर्व सिर्फ 14 बिलियन डॉलर होगा। ये तो वैसा है, जैसे पहाड़ पर चढ़ने के लिए टूटी रस्सी हो। मई 2024 में IMF ने कहा, ‘पाकिस्तान की कर्ज चुकाने की हालत पतली है।’ सब कुछ नीतियों और नए कर्ज पर टिका है। सवाल ये है – अगर कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लो, तो क्या ये जिंदगी है, या कर्ज का अंतहीन सिलसिला? वो बच्चा, जो कर्ज लेकर पैदा हुआ, क्या जवाब देगा जब उससे पूछा जाएगा, ‘तुम्हारा मुल्क कहां है?’
कर्ज और महंगाई का क्या चक्कर है? कर्ज लेना बुरा नहीं, अगर उससे मुल्क तरक्की करे। अगर कर्ज का पैसा गलत जगह जाए, तो महंगाई की आग लगती है। पाकिस्तान में IMF ने कहा, ‘लोन चाहिए? सब्सिडी बंद करो।’ बस, आटा, बिजली, पेट्रोल – सबके दाम आसमान पर। 2014 में पाकिस्तान की GDP 22.8 लाख करोड़ रुपये थी। 10 साल में 37% बढ़कर 31.5 लाख करोड़ रुपये हुई। उधर भारत की GDP 92% बढ़ी। सवाल ये है – जब कर्ज का पैसा तरक्की में नहीं, सब्सिडी और सैनिकों में जाता है, तो मुल्क का भविष्य क्या होगा? वो बच्चा, जो कर्ज लेकर पैदा हुआ, क्या सपने देखेगा, या सिर्फ कर्ज के कागज गिनेगा?
भारत पर कितना कर्ज है, और वो पाकिस्तान से कैसे अलग है? दिसंबर 2024 में भारत पर 717.9 बिलियन डॉलर यानी 60 लाख करोड़ रुपये का विदेशी कर्ज है। लेकिन भारत ये पैसा पुराने कर्ज या बंदूकों में नहीं, बल्कि रेल, सड़क, और हवाई अड्डों में लगाता है। 2014 में भारत की GDP 172 लाख करोड़ रुपये थी, 2024 तक 92% बढ़कर 330 लाख करोड़ रुपये हो गई। भारत 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन, 10 करोड़ महिलाओं को मुफ्त गैस, 9 करोड़ किसानों को 6,000 रुपये दे रहा है। इकोनॉमिस्ट कहते हैं, ‘भारत का कर्ज उसकी 3 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी के सामने कम है।’ सवाल ये है – जब कर्ज तरक्की के लिए हो, तो वो बोझ नहीं, निवेश है। लेकिन जब कर्ज सिर्फ कर्ज चुकाने और भारत के खिलाफ बयानबाजी के लिए हो, तो वो क्या है? शायद एक मुल्क की नियति।
तो ये थी पाकिस्तान के कर्ज और युद्ध की बातों की कहानी। एक मुल्क, जो कर्ज के जाल में उलझा है, भारत के खिलाफ बयानबाजी करता है, लेकिन उसकी जेब खाली है। भारत का विरोध, IMF का फैसला, और वो बच्चा, जो कर्ज लेकर पैदा हुआ। सवाल ये नहीं कि कर्ज चुक जाएगा या नहीं। सवाल ये है – जब कंगाली में युद्ध की बातें हों, तो मुल्क का सपना क्या होगा? आप बताइए।