हरियाणा के मानेसर नगर निगम (MCM) में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह के बीच तगड़ी सियासी जंग छिड़ी हुई है। हालात इतने तनावपूर्ण हो चुके हैं कि दोनों नेताओं के समर्थक पार्षदों को शहर से बाहर भेज दिया गया है – कोई गुवाहाटी के रिसॉर्ट में तो कोई हिमाचल की वादियों में “धार्मिक यात्रा” पर।
राजनीतिक रस्साकशी: कौन किसके साथ?
मानेसर नगर निगम में कुल 20 पार्षद हैं, जिनमें से 13 निर्दलीय और 7 बीजेपी से हैं।
सूत्रों के मुताबिक, राव नरबीर सिंह के संपर्क में 10 पार्षद हैं, जिनमें से 7 निर्दलीय हाल ही में बीजेपी में शामिल कराए गए।
दूसरी ओर, राव इंद्रजीत सिंह के साथ भी 10 पार्षद बताए जा रहे हैं, जिनमें मेयर डॉ. इंद्रजीत कौर प्रमुख चेहरा हैं।
गुवाहाटी और हिमाचल बना ‘पॉलिटिकल शरणस्थली’
बीजेपी समर्थित 12 पार्षदों को गुवाहाटी के एक रिसॉर्ट में भेजा गया है, जहां वे “कामाख्या देवी के दर्शन” के नाम पर ठहरे हुए हैं। दूसरी ओर, 6–7 निर्दलीय पार्षद हिमाचल प्रदेश में छुट्टियां मना रहे हैं, और इनमें से कई ने फोन बंद कर लिए हैं। इसका उद्देश्य स्पष्ट है – दूसरे खेमें से संपर्क से बचाना।
देरी का असर: विकास कार्य ठप, वित्त समिति नहीं गठित
मेयर डॉ. इंद्रजीत कौर ने गुरुग्राम मंडल आयुक्त को पत्र लिखकर चुनाव शीघ्र कराने की मांग की है। उन्होंने हरियाणा नगर निगम चुनाव नियम, 1994 के नियम 71(2) का हवाला देते हुए बताया कि 60 दिनों के भीतर चुनाव अनिवार्य है, जबकि 100 दिन बीतने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई।
इस वजह से वित्त एवं अनुबंध समिति का गठन नहीं हो पा रहा, जिससे मानेसर में सभी विकास कार्य और खरीद प्रक्रियाएं ठप पड़ी हैं।
सत्ता और प्रतिष्ठा की लड़ाई
मानेसर में यह पूरा विवाद नाक और राजनीतिक प्रभुत्व की लड़ाई बन चुका है।
राव इंद्रजीत सिंह अहिरवाल बेल्ट के बड़े नेता माने जाते हैं, और स्थानीय राजनीति में उनका विरोध करने वालों का करियर मुश्किल में पड़ता है।
राव नरबीर सिंह ने सात निर्दलीय पार्षदों को बीजेपी में शामिल करवा कर अपनी रणनीति को मजबूती दी है।
दोनों नेताओं के समर्थक अब सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में वर्चस्व के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
पार्टी की छवि दांव पर
यह टकराव अब सिर्फ स्थानीय राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बीजेपी की आंतरिक गुटबाजी को भी उजागर कर रहा है। मेयर चुनाव में डॉ. इंद्रजीत ने मुख्यमंत्री और कई मंत्रियों के प्रचार के बावजूद बीजेपी के उम्मीदवार सुंदरलाल यादव को हराया था। इससे राव इंद्रजीत की रणनीतिक क्षमता भी सामने आई थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो बीजेपी हाईकमान को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है, ताकि पार्टी की छवि और विकास कार्य दोनों को बचाया जा सके।
जनता हो रही परेशान
स्थानीय निवासी इस सियासी खींचतान से बेहद नाराज़ हैं। उनका कहना है कि पार्षदों की सैर और नेतागिरी के बीच जनता की समस्याएं अनदेखी हो रही हैं। मूलभूत ढांचा, सड़कें, पानी की लाइनें और खरीद-फरोख्त के मुद्दे सब रुक गए हैं।
मानेसर नगर निगम में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव अब सिर्फ पद नहीं, राजनीतिक दबदबे का प्रतीक बन चुके हैं। ‘राव वर्सेज राव’ की इस लड़ाई में जहां एक तरफ विकास कार्य रुक गए हैं, वहीं दूसरी ओर बीजेपी को संगठनात्मक नुकसान भी झेलना पड़ सकता है।