हरियाणा के सिरसा जिले में पिछली बारिश और घग्गर नदी में आई बाढ़ से जिन किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई थीं, उन्हें मुआवजे का इंतजार आज भी बना हुआ है। लगभग दो महीने बीत जाने के बाद भी सरकारी घोषणाओं के बावजूद मुआवजा न मिलने से किसानों में गहरा रोष है और अब वे फिर से आंदोलन की राह पर चल पड़े हैं।
किन गांवों में हुआ था सबसे ज्यादा नुकसान?
घग्गर नदी के तटबंध टूटने से जिले के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे। इनमें नेजाडेला कलां, नेजाडेला खुर्द, खैरेकां, फरवाई, अहमदपुर, ओटू, झोरनाली, केलनियां जैसे गांव प्रमुख हैं। इन इलाकों में हजारों एकड़ में लगी धान की खड़ी फसल पूरी तरह तबाह हो गई थी। हैरानी की बात यह है कि कुछ इलाकों में आज भी खेतों में पानी जमा है, जिसकी वजह से किसान अगली फसल की बुवाई भी नहीं कर पा रहे हैं।
किसानों ने सौंपा ज्ञापन, लेकिन नहीं मिली सुनवाई
इसी 10 नवंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने लघु सचिवालय परिसर में धरना प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम जिला अधिकारी (DC) को ज्ञापन सौंपा। हालांकि, इसके बाद भी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
26 नवंबर को हिसार कूच, फिर होगा बड़ा प्रदर्शन
नाराज किसानों ने अब अगले कदम की घोषणा कर दी है। 26 नवंबर को प्रदेशभर के किसान किसान-मजदूर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले हिसार कूच करेंगे और वहां एक बड़ा प्रदर्शन करेंगे। अखिल भारतीय किसान सभा के नेता एवं नेजाडेला कलां निवासी इकबाल सिंह ने कहा, “अगर मुआवजा नहीं आया तो प्रदर्शन करेंगे। डीसी को भी दो से तीन बार ज्ञापन दे चुके हैं।”
मकानों को हुए नुकसान का भी नहीं मिला मुआवजा
किसानों का आरोप है कि सिर्फ फसलें ही नहीं, बल्कि बारिश और बाढ़ से मकानों को हुए नुकसान (जैसे छत गिरना, दीवारों में दरार) का मुआवजा भी अभी तक प्रभावितों तक नहीं पहुंचा है।
किसानों की प्रमुख मांगें
नाराज किसानों ने सरकार के सामने अपनी मांगों की एक लंबी सूची रखी है:
तत्काल मुआवजा: बाढ़ और अतिवृष्टि से बर्बाद हुई खरीफ 2025 की फसलों का तुरंत मुआवजा दिया जाए।
जल निकासी: उन इलाकों में तत्काल पानी की निकासी का प्रबंध किया जाए, जहां आज भी खेत जलमग्न हैं।
बाढ़ सुरक्षा: घग्गर नदी के तटबंधों को मजबूत करने सहित बाढ़ से बचाव के स्थायी उपाय किए जाएं।
एमएसपी की गारंटी: एमएसपी न मिलने पर किसानों को नुकसान की भरपाई के लिए बोनस या आर्थिक सहायता दी जाए।
फसल बीमा सुधार: फसल बीमा कंपनियों की मनमानी पर रोक लगाई जाए और नुकसान आकलन की प्रक्रिया पारदर्शी बनाई जाए।
मुकदमे वापस लिए जाएं: पराली जलाने के नाम पर किसानों पर दर्ज मुकदमे तुरंत वापस लिए जाएं।
किसान नेता बता रहे हैं कि सरकारी उदासीनता के चलते किसानों को बार-बार आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।










