चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने राज्य के 1032 अस्थायी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को बड़ी राहत देते हुए उनकी मान्यता का शिक्षण सत्र 2025-26 के लिए एक साल का विस्तार प्रदान कर दिया है। इस फैसले से इन स्कूलों में पढ़ रहे लगभग 3 लाख विद्यार्थियोंका भविष्य सुरक्षित हो गया है, जो मान्यता न मिलने की स्थिति में आगामी बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने से वंचित रह सकते थे।
क्यों रुकी थी मान्यता?
इन स्कूलों की मान्यता कई वर्षों से हर साल अस्थायी रूप से बढ़ाई जा रही है क्योंकि ये शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करने में विफल रहे हैं।
अधूरी सुविधाएं: कई स्कूलों में भवन, खेल के मैदान, प्रयोगशाला और भूमि संबंधी मानकों का अभाव है।
नियमों का उल्लंघन: ये स्कूल शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम और हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम, 2003 के कई प्रावधानों का पालन नहीं कर रहे हैं।
यह स्कूल वे हैं जो 30 अप्रैल, 2003 से पहले स्थापित हुए थे या जिन्हें 31 मार्च, 2007 तक हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड, भिवानी से अस्थायी मान्यता मिली थी।
सरकार का अंतिम अल्टीमेटम
हालांकि सरकार ने इस बार भी राहत दे दी है, लेकिन इसे अंतिम अवसर माना जा रहा है।
शपथपत्र अनिवार्य: सभी 1032 स्कूलों को एक शपथपत्र (एफिडेविट) देना होगा कि वे इस विस्तार की सभी शर्तों को स्वीकार करते हैं।
अगले सत्र में दाखिले पर रोक: शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि ये स्कूल अगले सत्र तक सभी निर्धारित मानक पूरे नहीं करते हैं, तो उन्हें नए प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
स्कूल संचालकों और सरकार के बीच खींचतान
निजी स्कूल संचालक लंबे समय से स्थायी मान्यता की मांग कर रहे हैं, विशेषकर जमीन संबंधी शर्तों में छूट की। उनका तर्क है कि कई स्कूल 30 वर्षों से भी अधिक समय से चल रहे हैं और अब भूमि की शर्तों को पूरा करना संभव नहीं है। वहीं, शिक्षा विभाग गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानकों पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा के साथ कई दौर की बैठकों के बाद स्कूल संचालकों की मांग मानते हुए यह अस्थायी विस्तार दिया गया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या ये स्कूल अगले एक साल में निर्धारित मानकों को पूरा कर पाते हैं या यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।












