हरियाणा में भी सेवाएं दे चुकी हैं लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी, सिरसा के नेशनल कॉलेज में कहा था-सेना एक ऐसा परिवार है…!

आज हम बात करेंगे एक ऐसी महिला की, जिन्होंने न सिर्फ़ देश की सीमाओं की रक्षा की, बल्कि युवाओं के दिलों में देश सेवा की आग भी जलाई। कर्नल सोफिया ...

सोफिया कुरैशी

आज हम बात करेंगे एक ऐसी महिला की, जिन्होंने न सिर्फ़ देश की सीमाओं की रक्षा की, बल्कि युवाओं के दिलों में देश सेवा की आग भी जलाई। कर्नल सोफिया कुरैशी। गुजरात के वडोदरा से निकलकर भारतीय सेना के सिग्नल कोर में कर्नल बनने वाली सोफिया ने 7 मई, 2025 को ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में दुनिया को बताया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ कितना सख्त है। लेकिन आज हम उनकी उस कहानी की बात करेंगे, जो हरियाणा के हिसार की आर्मी छावनी से शुरू हुई। जहाँ उन्होंने न सिर्फ़ देश सेवा की, बल्कि सिरसा और हांसी के कॉलेजों में जाकर युवाओं को सेना में शामिल होने का सपना दिखाया। आइए, इस कहानी को और करीब से देखते हैं।

2019-20 का वो दौर। हिसार की आर्मी छावनी में तैनात थीं लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी। सिग्नल कोर की अधिकारी के तौर पर वो सेना के संचार तंत्र को मज़बूत कर रही थीं। लेकिन उनका योगदान सिर्फ़ यहीं तक सीमित नहीं था। वो हरियाणा की उस मिट्टी में गईं, जहाँ युवा भविष्य की तलाश में थे। सिरसा के राजकीय नेशनल कॉलेज और हांसी के एसडी कॉलेज। सिरसा में वो डेढ़ से दो घंटे रुकीं। और उन दो घंटों में, उन्होंने कुछ ऐसा कहा कि दर्जनों छात्रों के मन में सेना में जाने की चिंगारी जाग उठी।

सिरसा के राजकीय नेशनल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. रविंद्र पुरी बताते हैं कि 2019 में सोफिया कुरैशी ने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उनका भाषण इतना भावुक था कि छात्रों ने सेना में भर्ती की जानकारी माँगनी शुरू कर दी। सोफिया ने कहा, “सेना एक ऐसा परिवार है, जहाँ कोई भेदभाव नहीं।” उन्होंने बताया कि सेना में देश सेवा के साथ-साथ व्यक्तित्व का विकास होता है। शौक पूरे होते हैं। और सबसे बड़ी बात, भारत की एकता और अखंडता को जीने का मौका मिलता है। ये शब्द सिर्फ़ शब्द नहीं थे। ये एक ऐसी हकीकत थी, जिसे सोफिया ख़ुद जी रही थीं।

हांसी के एसडी कॉलेज में, करीब छह साल पहले, सोफिया ने छात्रों से कहा, “अगर आप कॉलेज में कोई लक्ष्य बनाते हैं और उसका लगन से अभ्यास करते हैं, तो वो लक्ष्य ज़रूर पूरा होता है।” उन्होंने युवाओं को बताया कि देश सेवा हर बंधन से ऊपर है। और एक बात, जो आज भी हांसी के उन छात्रों के ज़हन में गूँजती है – “परिवार में किसी एक को सेना के लिए ज़रूर तैयार करें।” सोफिया ने ये भी कहा कि अगर आप आदर्शवादी जीवन जीना चाहते हैं, तो सेना से बेहतर कोई जगह नहीं।

लेकिन सोफिया कुरैशी सिर्फ़ एक प्रेरक वक्ता नहीं थीं। वो एक ऐसी अधिकारी थीं, जिन्होंने 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में हिस्सा लिया। पंजाब सीमा पर ऑपरेशन पराक्रम के दौरान उनकी सेवाओं को सराहा गया। और पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत अभियानों में उनके संचार कौशल को सिग्नल ऑफिसर-इन-चीफ कमेंडेशन कार्ड से सम्मानित किया गया। 2016 में, वो पहली महिला अधिकारी बनीं, जिन्होंने पुणे में ‘एक्सरसाइज़ फोर्स 18’ में 40 सदस्यों की भारतीय सेना टुकड़ी का नेतृत्व किया। और ऑपरेशन सिंदूर में, उन्होंने दुनिया को बताया कि भारत की सेना न सिर्फ़ मज़बूत है, बल्कि संवेदनशील भी।

सोफिया ने हिसार में जो बीज बोए, वो आज भी फल दे रहे हैं। सिरसा और हांसी के उन कॉलेजों में, जहाँ उन्होंने युवाओं को प्रेरित किया, आज भी छात्र सेना में जाने के सपने देखते हैं।  सोफिया ने कहा था, “शारीरिक और मानसिक रूप से मज़बूत बनो। नियमित व्यायाम करो। स्वस्थ खाओ। और सकारात्मक रहो।” ये सलाह सिर्फ़ सेना के लिए नहीं, बल्कि ज़िंदगी के हर लक्ष्य के लिए थी। और जब वो ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलीं कि “नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया,” तो उनके शब्दों में वही मज़बूती थी, जो उन्होंने हिसार के युवाओं को सिखाई थी।

तो सवाल ये है: क्या एक व्यक्ति अकेले बदलाव ला सकता है? सोफिया कुरैशी का जवाब है – हाँ। हिसार की छावनी से लेकर सिरसा और हांसी के कॉलेजों तक, और फिर ऑपरेशन सिंदूर की प्रेस कॉन्फ्रेंस तक, सोफिया ने साबित किया कि देश सेवा सिर्फ़ सीमाओं पर नहीं होती। ये उन युवाओं के दिलों में भी होती है, जो अपने देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। लेकिन सवाल ये भी है: क्या हम, आप, और मैं, सोफिया की तरह अपने आसपास के युवाओं को प्रेरित कर सकते हैं?  जवाब शायद हरियाणा की उन गलियों में मिलेगा, जहाँ आज भी सेना में जाने का सपना ज़िंदा है।

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