हरियाणा में विचित्र और असहज नामों वाले गांवों को एक नई पहचान देने की पहल जारी है। इसी क्रम में प्रदेश सरकार ने चार और गांवों के नाम बदलने की अधिसूचना जारी कर दी है। सोनीपत, यमुनानगर और भिवानी जिलों के इन गांवों को अब नए नाम से जाना जाएगा, जिससे ग्रामीणों को अपनी पहचान बताने में अब शर्म नहीं बल्कि गर्व महसूस होगा।
बदले गए गांवों के नए नाम:
धनाना अलादादपुर (सोनीपत) → अब शिवनगरी
मोहम्दाबाद (सोनीपत) → अब प्रेमसुख नगर
बिलासपुर (यमुनानगर) → अब व्यासपुर
दुर्जनपुर (भिवानी) → अब सज्जनपुर
इन गांवों के नाम अब सभी सरकारी दस्तावेजों, रिकॉर्ड और पटवारियों में नए नामों के साथ दर्ज किए जाएंगे।
2015 में शुरू हुई थी यह पहल
हरियाणा में गांवों के नाम बदलने की शुरुआत साल 2015 में उस समय हुई जब फतेहाबाद जिले की 12 वर्षीय छात्रा हरप्रीत कौर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि उनके गांव का नाम ‘गंदा’ है, जिससे उन्हें शर्म महसूस होती है। इस पर त्वरित संज्ञान लेते हुए गांव ‘गंदा’ का नाम बदलकर अजीत नगर कर दिया गया।
इसके बाद मनोहर लाल सरकार ने 9.5 साल के कार्यकाल में 18 गांवों के नाम बदल दिए, जबकि वर्तमान सरकार अब तक 4 गांवों के नाम बदल चुकी है। यानी पिछले 10 वर्षों में कुल 22 गांवों के नाम बदले गए हैं।
सबसे ज्यादा नाम बदले गए जींद में
जिलावार बदले गए गांवों की संख्या:
जींद: 4 गांव
यमुनानगर: 3 गांव
हिसार, सोनीपत, करनाल, गुरुग्राम: 2-2 गांव
भिवानी, महेंद्रगढ़, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, सिरसा, फतेहाबाद: 1-1 गांव
कुछ प्रमुख बदले गए नाम:
पुराना नाम | नया नाम | जिला |
---|---|---|
पिंडारी | पांडु पिंडारा | जींद |
गंदा खेड़ा | गुरुकुल खेड़ा | जींद |
मोहम्मदहेड़ी | ब्रह्मपुरी | गुरुग्राम |
खिजराबाद | प्रताप नगर | यमुनानगर |
किन्नर | गैबी नगर | हिसार |
गुड़गांव | गुरुग्राम | गुरुग्राम |
अमीन | अभिमन्युपुर | कुरुक्षेत्र |
गंदा | अजीत नगर | फतेहाबाद |
पंचायतें भी भेज सकती हैं नाम बदलने के प्रस्ताव
यदि किसी गांव की पंचायत को लगता है कि उनके गांव का नाम अपमानजनक, असहज या ऐतिहासिक महत्त्व से मेल नहीं खाता, तो वे नाम बदलने का प्रस्ताव पास कर सकती हैं।
प्रक्रिया इस प्रकार है:
ग्राम पंचायत प्रस्ताव पारित करती है और कारण बताती है।
प्रस्ताव खंड विकास अधिकारी से होकर उपायुक्त के पास भेजा जाता है।
उपायुक्त आवश्यकतानुसार विशेष समिति से रिपोर्ट मांग सकते हैं।
प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजा जाता है।
राज्य सरकार अधिसूचना जारी कर अंतिम नाम परिवर्तन करती है।
हरियाणा सरकार की यह पहल न केवल गांवों को नई पहचान देने का कार्य कर रही है, बल्कि गौरव और आत्मसम्मान की भावना को भी बढ़ा रही है। जैसे-जैसे समय बदल रहा है, गांवों के नाम भी बदलकर इतिहास और संस्कृति से मेल खाते हुए सकारात्मक पहचान का प्रतीक बनते जा रहे हैं।
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