सिरसा: आज की युवा पीढ़ी जहां सोशल मीडिया और भौतिक सुखों में उलझी है, वहीं पंजाब के जालंधर की दो सगी बहनों, आराध्या जैन (18) और कृतिका जैन (17), ने सांसारिक मोह-माया त्यागकर संयम और अध्यात्म का मार्ग चुना है। ये दोनों बहनें पिछले आठ वर्षों से महासाध्वी स्वाती जी महाराज की शिष्याओं के रूप में वैराग्य का जीवन जी रही हैं और अब वे 22 फरवरी 2026 को पंजाब के मलेरकोटला में दीक्षा ग्रहण करेंगी।
रानिया में हुआ भव्य तिलक अभिनंदन समारोह
रविवार को हरियाणा के रानिया स्थित जैन धर्मशाला में दोनों वैरागन बहनों का भव्य “तिलक अभिनंदन समारोह” आयोजित किया गया। महासाध्वी स्वाती जी महाराज ठाणा-5 के सान्निध्य में आयोजित इस समारोह में दोनों बहनों को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ दुल्हन की तरह सजाया गया। सुबह एक खुली गाड़ी में उनकी शोभायात्रा निकाली गई, जो शहर के मुख्य बाजारों से होकर गुजरी। इस दौरान श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा और जयकारों के साथ उनका अभिनंदन किया।

बचपन से था धर्म की ओर झुकाव
आराध्या जैन ने इस अवसर पर बताया कि बचपन से ही उनके मन में जैन धर्म के प्रति गहरी आस्था थी। अपनी मां के साथ प्रवचन सुनते हुए साध्वियों के संयमित जीवन ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने भी इसी मार्ग पर चलने का संकल्प ले लिया। दोनों बहनों ने कहा, “आज के युग में मोबाइल और फैशन की दुनिया से दूर रहना कठिन है, लेकिन अगर धर्म का जज्बा हो तो यह असंभव नहीं है।”
8 वर्षों की कठिन साधना
दीक्षा लेने से पहले दोनों बहनें पिछले आठ वर्षों से वैरागन के रूप में महासाध्वी स्वाती जी महाराज के साथ रहकर जैन धर्म के गूढ़ रहस्यों का अध्ययन कर रही हैं। उन्होंने जैन शास्त्रों, 25 बोल, प्रतिक्रमण, नवतत्त्व, कर्म ग्रंथ और भक्तामर स्तोत्र जैसे कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का गहन अध्ययन किया है और अनेक श्लोक कंठस्थ किए हैं।
समाज के लिए बनीं प्रेरणास्रोत
एसएस जैन सभा के उपाध्यक्ष नरेश जैन ने कहा कि आराध्या और कृतिका का यह निर्णय समाज के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। यह साबित करता है कि त्याग और संयम आज भी प्रासंगिक हैं। इस समारोह में रानियां, सिरसा, अंबाला, हनुमानगढ़ समेत कई शहरों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। मालेरकोटला में होने वाले दीक्षा समारोह में भी रानियां से बड़ी संख्या में लोग शामिल होंगे।











