हरियाणा के चरखी दादरी जिले के गांव इमलोटा के लाल, सुजीत कलकल ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम लहराया है। सर्बिया के नोवी साद में आयोजित U-23 वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में सुजीत ने 65 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने खिताबी मुकाबले में उज्बेकिस्तान के उमिदजोन जलोलोव को तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर 10-0 के एकतरफा स्कोर से हराकर यह ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
गांव इमलोटा में खुशी की लहर
सुजीत की इस शानदार उपलब्धि के बाद उनके पैतृक गांव इमलोटा और पूरे दादरी जिले में जश्न का माहौल है। परिवार और गांव के लोग अपने बेटे की इस ऐतिहासिक जीत पर गर्व महसूस कर रहे हैं। घर-घर में मिठाइयां बांटी जा रही हैं और इस जीत को युवाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा माना जा रहा है।
फाइनल तक का सफर
एशियाई अंडर-23 चैंपियन सुजीत कलकल ने इस पूरे टूर्नामेंट में असाधारण प्रदर्शन किया:
उन्होंने अपने शुरुआती दो मुकाबले तकनीकी श्रेष्ठता के आधार पर जीते।
सेमीफाइनल में उन्होंने जापान के युतो निशियुची को आखिरी क्षणों में 3-2 के कड़े मुकाबले में हराकर फाइनल में जगह बनाई थी।
फाइनल में उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को कोई मौका नहीं दिया और 10-0 से मुकाबला अपने नाम कर लिया।
यह 2025 में यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग (UWW) द्वारा आयोजित किसी भी रैंकिंग सीरीज इवेंट में भारत का पहला स्वर्ण पदक है।
फिर चमका हरियाणा का सितारा
सुजीत की यह सफलता एक बार फिर साबित करती है कि हरियाणा की मिट्टी में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। यहां के खिलाड़ियों ने हमेशा देश का मान बढ़ाया है और सुजीत ने भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाया है। उनकी इस सफलता के पीछे उनके परिवार के त्याग और कोच के कुशल मार्गदर्शन का अहम योगदान है।
अब ग्रामीणों और खेल प्रेमियों को उम्मीद है कि हरियाणा सरकार सुजीत को उनकी इस उपलब्धि के लिए सम्मानित करेगी, ताकि राज्य के और भी युवा खेलों में अपना करियर बनाने के लिए प्रेरित हों।










