हरियाणा का दूसरा नाम वैसे तो कोई नहीं है। लेकिन प्राचीन काल में अलग-अलग नामों का उल्लेख मिलता है। भारत का उत्तर-पश्चिमी राज्य हरियाणा अपनी ऐतिहासिक धरोहर, सांस्कृतिक समृद्धि और कृषि प्रधानता के कारण विशेष महत्व रखता है। यह भूमि न केवल हरियाली और अन्न उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि महाभारत, वेदों और वैदिक सभ्यता के कई महत्वपूर्ण पड़ाव भी यहीं से जुड़े हैं।
अक्सर सवाल उठता है – “हरियाणा का दूसरा नाम क्या है?” इसका उत्तर इतना सरल नहीं है, क्योंकि हरियाणा को इतिहास और साहित्य में अलग-अलग नामों से जाना गया है।
हरियाणा नाम की उत्पत्ति
“हरियाणा” शब्द संस्कृत से बना है, जिसमें –
हरि (Hari): भगवान विष्णु या हरियाली का प्रतीक है।
आयण (Ayana): घर, निवास या स्थान को दर्शाता है।
इस प्रकार “हरियाणा” का शाब्दिक अर्थ हुआ – भगवान हरि का निवास या हरियाली की भूमि।
यह व्याख्या इसकी धार्मिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान को दर्शाती है।
ऐतिहासिक और साहित्यिक संदर्भ: हरियाणा के अन्य नाम
हरियाणा का केवल एक निश्चित दूसरा नाम नहीं है, बल्कि समय-समय पर इसे विभिन्न उपनामों और संज्ञाओं से पुकारा गया है। आइए इनका विस्तार से अध्ययन करें –
1. बहुधान्यक और बहुधान
प्राचीन अभिलेखों और साहित्यिक उल्लेखों में हरियाणा का संबंध ‘बहुधान्यक’ या ‘बहुधान’ से जोड़ा गया है। इन शब्दों का अर्थ है – प्रचुर अनाज और अपार धन की भूमि।
इससे स्पष्ट होता है कि यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही कृषि, खाद्य उत्पादन और समृद्धि का प्रतीक रहा है।
2. हरियाणक
रोहतक जिले में मिले एक प्राचीन शिलालेख में इस क्षेत्र को ‘हरियाणक’ कहा गया है। यह ऐतिहासिक प्रमाण हरियाणा के नाम की जड़ों को और गहराई से समझने में मदद करता है।
3. ब्रह्मवर्त
प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में हरियाणा को ब्रह्मवर्त कहा गया है। इसका तात्पर्य उस क्षेत्र से है जहां ब्रह्मा का अवतरण हुआ और जहाँ से वैदिक संस्कृति का प्रचार-प्रसार हुआ।
4. आर्यवर्त
हरियाणा को प्राचीन काल में आर्यवर्त भी कहा गया है। यह नाम उस कालखंड की ओर संकेत करता है जब आर्य जाति इस क्षेत्र में बसी और यहाँ से उन्होंने अपने समाज और संस्कृति का विस्तार किया।
5. ब्रह्मोपदेश
हरियाणा को ब्रह्मोपदेश नाम से भी जाना गया, क्योंकि यह वह भूमि थी जहाँ वैदिक ऋषियों ने अध्यात्म और वेदज्ञान का उपदेश दिया। यह नाम इसे धार्मिक और दार्शनिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बनाता है।
हरि और अयाना: धार्मिक पहचान
‘हरियाणा’ शब्द की धार्मिक व्याख्या भी की जाती है। इसमें ‘हरि’ का संबंध भगवान विष्णु और श्री कृष्ण से है, जबकि ‘अयाना’ का अर्थ है निवास।
इस प्रकार हरियाणा का अर्थ हुआ – भगवान का निवास स्थान।
महाभारत के युद्ध स्थल कुरुक्षेत्र की उपस्थिति इस धार्मिक महत्व को और गहरा करती है।
कृषि और उपजाऊ भूमि: अन्न भंडार की पहचान
हरियाणा को “भारत का अन्न भंडार” कहा जाता है। हरियाणा और पंजाब दोनों मिलकर देश को सबसे अधिक गेहूं और धान उपलब्ध कराते हैं।
हरियाणा की उपजाऊ भूमि और आधुनिक सिंचाई व्यवस्था इसे खाद्यान्न उत्पादन का केंद्र बनाती है। यही कारण है कि बहुधान्यक और बहुधान जैसे नाम इसके साथ ऐतिहासिक रूप से जुड़े रहे हैं।
महाभारत और कुरुक्षेत्र की पहचान
हरियाणा का दूसरा नाम “कुरु भूमि” भी माना जाता है।
कुरुक्षेत्र, जहाँ महाभारत का युद्ध लड़ा गया और भगवान कृष्ण ने गीता का उपदेश दिया, यहीं स्थित है।
यह भूमि धर्म, नीति और अध्यात्म का वैश्विक केंद्र है।
आज भी गीता जयंती महोत्सव जैसे आयोजन हरियाणा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान दिलाते हैं।
वेदा भूमि और वैदिक संस्कृति
हरियाणा को प्राचीन काल में वेदा भूमि कहा गया है। ऋग्वेद और अन्य वैदिक ग्रंथों में इस क्षेत्र का उल्लेख मिलता है।
इतिहासकार मानते हैं कि वैदिक सभ्यता की जड़ें यहीं से पनपीं। सरस्वती नदी का उद्गम भी हरियाणा से ही माना गया है।
स्वतंत्रता संग्राम और वीरता की भूमि
हरियाणा का नाम उसकी वीरता और देशभक्ति से भी जुड़ा है।
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में हरियाणा के वीरों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
आजादी के बाद भी हरियाणा ने सेना और खेलों में देश को सर्वाधिक योगदान दिया।
इसलिए हरियाणा को “वीरों की भूमि” भी कहा जाता है।
सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान
हरियाणा की संस्कृति लोकगीतों, नृत्यों, मेलों और त्योहारों से समृद्ध है।
रागनियां, फग, तीज, लोहड़ी जैसे त्योहार यहाँ की पहचान हैं।
यहाँ की लोककला और पहलवानी परंपरा इसे और भी खास बनाती है।
आधुनिक समय में खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया है।
निष्कर्ष
हरियाणा का केवल एक निश्चित दूसरा नाम नहीं है, बल्कि इसकी पहचान कई नामों से जुड़ी हुई है।
बहुधान्यक और बहुधान इसे प्रचुर अनाज और धन की भूमि बताते हैं।
हरियाणक इसका ऐतिहासिक प्रमाण है।
ब्रह्मवर्त, आर्यवर्त और ब्रह्मोपदेश इसे वैदिक संस्कृति और धार्मिक उपदेश की भूमि बताते हैं।
कुरु भूमि इसे महाभारत और गीता से जोड़ती है।
अन्न भंडार इसका आधुनिक कृषि योगदान दर्शाता है।
और वीरों की भूमि इसकी बहादुरी और देशभक्ति की पहचान है।
इस प्रकार हरियाणा का दूसरा नाम कोई एक नहीं बल्कि इसके अलग-अलग ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक संदर्भों में अनेक नाम मिलते हैं। यही विविधता हरियाणा की असली धरोहर और शक्ति है।