सेवा और संस्कार की मिसाल: सिरसा का रिसालिया खेड़ा गांव, जहां पहली सैलरी समर्पित होती है गौशाला को

सिरसा (हरियाणा) —जहां आज के दौर में भौतिक उपलब्धियों को ही सफलता का पैमाना माना जाता है, वहीं सिरसा जिले का रिसालिया खेड़ा गांव एक ऐसी परंपरा को जीवित रखे ...

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वैशाली वर्मा

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रिसालिया खेड़ा सिरसा

सिरसा (हरियाणा) —जहां आज के दौर में भौतिक उपलब्धियों को ही सफलता का पैमाना माना जाता है, वहीं सिरसा जिले का रिसालिया खेड़ा गांव एक ऐसी परंपरा को जीवित रखे हुए है जो सेवा, संस्कार और समाज के प्रति समर्पण की मिसाल बन चुकी है।

यहां जब भी कोई युवा सरकारी नौकरी में नियुक्त होता है, तो वह अपनी पहली सैलरी गांव की गौशाला को दान करता है। यह परंपरा न केवल गौ सेवा की भावना को बढ़ावा देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आधुनिकता के बीच भी संस्कारों की गहराई बरकरार है।


प्रवीन मांडण ने निभाई परंपरा

हाल ही में इस परंपरा को आगे बढ़ाया गांव के युवा प्रवीन मांडण ने, जिन्हें PSPCL (Punjab State Power Corporation Limited) में लाइनमैन के पद पर नियुक्ति मिली है।
उन्होंने अपनी पहली सैलरी ₹21,000/- पूरी राशि गांव की श्री गौशाला को समर्पित की।

यह छोटा सा योगदान एक बड़ी सोच और गहरी जड़ों का प्रतीक है — “सफलता तब तक अधूरी है, जब तक वह समाज को समर्पित न हो।”


परंपरा जो प्रेरणा बन गई

रिसालिया खेड़ा की यह परंपरा अब सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि गौरव और प्रेरणा का विषय बन गई है। युवाओं में यह भाव पैदा हुआ है कि पहली कमाई अपने गांव, अपनी संस्कृति और अपने संस्कारों के नाम हो।

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि यह परंपरा वर्षों से चलती आ रही है, और आज की युवा पीढ़ी इसे दिल से अपना रही है।


संदेश जो पूरे समाज के लिए

“गांव के संस्कार ही उसकी असली पहचान होते हैं।”
रिसालिया खेड़ा इसका सजीव उदाहरण है, जहां गौ सेवा को सर्वोच्च धर्म माना जाता है और नई पीढ़ी उसे अपने जीवन में उतार रही है।


📌 जय गौ माता | जय श्री कृष्ण | जय गोपाल
गौ सेवा — परम धर्म!

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